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अनामलाई बाघ अभ्यारण्य

06 Jan, 2022

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-गन्ना प्रजनन संस्थान (ICAR-एसबीआई) ने  तमिलनाडु के अन्नामलाई बाघ अभयारण्य क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के जीवनस्तर में सुधार लाने हेतु एक प्रोजेक्ट शुरू किया है।

मुख्य बिंदु :-

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-गन्ना प्रजनन संस्थान (ICAR-एसबीआई), कोयंबटूर ने अनामलाई बाघ अभ्यारण्य (एटीआर) के सहयोग से "आदिवासियों के ज्ञान सशक्तिकरण" पर एक अभियान चलाया और 5 जनवरी 2022 को अनामलाई टाइगर रिजर्व (एटीआर) के अट्टागट्टी में अपनी अनुसूचित जनजाति घटक(एसटीसी) परियोजना शुरू की।
  • उल्लेखनीय है की अनामलाई बाघ अभ्यारण्य में आदिवासी अनेक दुर्गम इलाकों में रहते हैं,ऐसे में बढ़ी सावधानी के साथ इनका चयन किया गया है गौरतलब है की अन्य बाघ अभयारण्यों के विपरीत, अनामलाई टाइगर रिजर्व में स्वदेशी लोगों के विविध समूह हैं।
  • यहाँ की 'मालासर' जनजाति विशेष रूप से उल्लेखनीय है जिसने एशियाई हाथियों को संभालने के अपने गहन ज्ञान और कौशल के साथ हाथियों को प्रशिक्षित करने में वन विभाग की बहुत मदद की है।
  • परन्तु यहाँ की जनजातीय आबादी में साक्षरता दर, सामान्य जनसंख्या की तुलना में बहुत कम है। गौरतलब है की आदिवासियों, महिलाओं और बच्चों को विशेष रूप से इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि शिक्षा न केवल उनके आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए बल्कि उनकी संस्कृति के संरक्षण के लिए भी जरूरी है। इस हेतु ही यह कार्यक्रम चलाया गया है।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से इन बस्तियों में आदिवासी समुदाय को पोषण उद्यान स्थापित करने और बनाए रखने के लिए शिक्षित किया जाएगा और इस अभियान के दौरान 'ज्ञान' पर किचन गार्डन बीज किट वितरित किए जाएंगे।
  • आदिवासियों का सशक्तिकरण' रेडियो सेट के वितरण के साथ-साथ आदिवासियों को उन रेडियो कार्यक्रमों की जानकारी दी जा रही है जो उनके ज्ञान सशक्तिकरण में सहायता कर सकते हैं। साथ ही  ICAR-एसबीआई गांवों में आदिवासी लोगों को कृषि उपकरण, घरेलू सामान और पौधे भी वितरित कर रहा है।
  • उल्लेखनीय है की यह परियोजना पहली बार एटीआर में लागू की जा रही है। एसटीसी को लागू करते हुए दो जनजातियों जैसे कि 'मालासर' और 'मलाई मालासर' ,के बीच विशेष फोकस किया जायेगा,जो की नागारूथु -1, नागारूथु -2, पुरानी सरकारपति, चिन्नारपति, कूमाट्टी और पालकीनारू की आदिवासी बस्तियों से संबंधित हैं।

अनामलाई टाइगर रिजर्व के बारे में –

  • अन्नामलाई टाइगर रिजर्व, जिसे पहले इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता था, भारत के तमिलनाडु राज्य के कोयम्बतूर ज़िले और तिरुपुर ज़िले में विस्तारित आनेमलई पहाड़ियों में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है।
  • 108 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। जंगल नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा है। पार्क के अंदर एक अभयारण्य भी है, जिसे पहले अनमलाई वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता था। अभयारण्य 958 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • घने जंगलों, घास के मैदानों, पठारों और घाटियों से ढकी पहाड़ियाँ इलाक़े की विशेषता हैं। यह 500 मीटर से 5000 मिमी की वार्षिक वर्षा प्राप्त करता है। अन्नामलाई टाइगर रिजर्व छह अलग-अलग जनजातियों के 4600 आदिवासी लोगों का घर है। यहाँ निवास करने वाली जनजातियाँ कादर, मालासर, मालामालसर, पुलायार, मुदुवर और एरावार हैं।
  • इस क्षेत्र को वर्ष 1974 में अन्नामलाई वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। इस पार्क के तीन अनूठे निवास स्थान जैसे किरण शोला, घास की पहाड़ियाँ, मंझमपट्टी घाटी को वर्ष 1989 में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था। 1855 में, यह क्षेत्र टिकाऊ जंगल के अंतर्गत आया। गौरतलब है की पार्क और अभयारण्य यूनेस्को द्वारा पश्चिमी घाट विश्व विरासत स्थल के हिस्से के रूप में विचाराधीन है। डिंडीगुल जिले में अभयारण्य और पलनी हिल्स, आनामलाई संरक्षण क्षेत्र बनाते हैं।
  • प्रोजेक्ट टाइगर की संचालन समिति ने 2005 में इंदिरा गांधी WLS और NP को प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल करने की सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी। इसे वर्ष 2008 में एक प्रोजेक्ट टाइगर अभयारण्य घोषित किया गया था।

जीवजंतु और वनस्पति -

  • पार्क में कई प्रकार के जीव-जंतु भी हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ वन्यजीवों में नीलगिरि तहर, केवेट बिल्ली, हाथी, पैंगोलिन, सांभर, बार्किंग हिरण, माउस हिरण, चित्तीदार हिरण, बाघ, पैंथर, जंगली सूअर और सुस्ती भालू हैं। पार्क में दुर्लभ वन्यजीव जानवरों जैसे शेर पूंछ वाले मैकाक, बोनट मैकाक, नीलगिरी लंगूर, आम लंगूर, मालाबार विशाल गिलहरी और घिसी हुई विशाल गिलहरी आदि की शानदार दृष्टि है।
  • पार्क निवासी और प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों की 500 प्रजातियों का निवास स्थान भी है। यहाँ पाई जाने वाली कुछ पक्षी प्रजातियाँ हैं- रफस वुड पीकर, रोज रिंग्ड पैराकेट, ब्लैक ईगल, ग्रेट इंडियन मालाबार पाइड हॉर्न बिल, फियरी ब्लू बर्ड, ग्रीन बिल्ड मलखोहा, ब्लैक हेडेड ओरोले, पैराडाइज कैचर, व्हिस्लिंग थ्रश, एमराल्ड डोव, ग्रीन पिजन, टिकेल के फ्लॉवर पीकर, कॉर्मोरेंट्स, क्यूल्स, हॉर्नबिल्स, ओरोल्स, स्टॉर्क, ईगल्स और ओवल्स, रैकेट टेल्ड ड्रोंगो और व्यानद थ्रश हंसी।
  • पार्क में पाए जाने वाले सरीसृप टॉड्स, लीपिंग फ्रॉग्स, टोरेंट फ्रॉग्स, ट्री फ्रॉग्स, पाइथन, कोबरा, क्रेट, वाइपर, ग्रास स्नेक, फॉरेस्ट गन्ने के कछुए, ट्रावैंक्रिसो, फ्लैपशेल्स, स्टार कछुए, फ्लाइंग छिपकली, गिरगिट और वन कालोट हैं।
  • वन की वनस्पति प्रचुर मात्रा में सदाबहार और अर्ध-सदाबहार वनों के साथ मिश्रित पर्णपाती किस्म की है। पार्क के कुछ हिस्सों में अर्ध सदाबहार और गीली शीतोष्ण वनस्पति हैं। इस क्षेत्र में सागौन, शीशम और कई अन्य उष्णकटिबंधीय प्रजातियां शामिल हैं।
  • पार्क में कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय किस्म के पेड़ हैं, जो हैं एंजियोप्टेरिस इरेक्ट्रा, गनेटम उल्ला, इम्प्लिअन्स एलिगेंस, लाइकोपोडियम सेर्नम, रान्यनकुलस रेनीफॉर्मिस, ओसमिया रेगुलिस, कोम्ब्रेटम ओवलिफोलियम, डिस्प्रोस नीलगैरिका, जिस्मो-जेटविस्मोनिस्समुदाय बुलबोफिलम एसपी, और लासियनथस यूनुलोसेस आदि।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बारे में –

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है।
  • रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट के अनुसरण में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत इसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को की गयी थी।
  • इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। इस सोसाइटी का पहले नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च था।
  • इसका उद्देश्य कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों को प्रोत्साहन करना और उनके बारे में शिक्षित करना है |
  • परिषद प्रत्यक्ष तौर पर कृषि क्षेत्र में संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन फसलों, पशुओं व मछली एवं संबंधित क्षेत्रों आदि से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए पारंपरिक व सीमांत क्षेत्र में अनुसंधान की गतिविधियों में शामिल है | यह कृषि क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
  • यह परिषद देश में बागवानी, मात्स्यिकी और पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन और अनुसंधान प्रबंधन तथा शिक्षा के लिये एक सर्वोच्च निकाय है।
  • इसके अंतर्गत 103 ICAR के संस्थान तथा 73 कृषि विश्वविद्यालय संपूर्ण देश में फैले हुए हैं और इस प्रकार यह विश्व की वृहत राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है। 
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में हरित क्रांति लाने तत्पश्चात अपने अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास से देश के कृषि क्षेत्र के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है। जिससे 1951 से 2014 तक देश खाद्यान्न उत्पादन में 5 गुना, बागवानी फसलों में 9.5 गुना, मात्स्यिकी के क्षेत्र में 12.5  गुना , दूध उत्पादन में 7.8 गुना तथा अंडा उत्पादन में 39 गुना वृद्धि करने में समर्थ हुआ है और  इस प्रकार राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषणिक सुरक्षा में इसका एक स्पष्‍ट प्रभाव परिलक्षित होता है।
  • परिषद ने कृषि में उच्च शिक्षा में उत्कृष्‍टता को प्रोन्नत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के नवोन्मेषी क्षेत्रों में कार्य करने में परिषद संलग्न रही है और इसके वैज्ञानिक अपने विषयों में अंतरराष्ट्रीय तौर पर जाने जाते हैं।

Source - PIB

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author