भारतीय पशु कल्याण बोर्ड
08 Dec, 2022
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों से संबंधित परामर्श जारी किया
मुख्य बिंदु :-
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हाल के दिनों में, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) के संज्ञान में आया है कि कुत्तों के खिलाफ अत्याचार, कुत्तों को खिलाने और देखभाल करने वालों के खिलाफ और शहरी नागरिकों के बीच के विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।
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ऐसी घटनाएं दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, मुंबई, पुणे, नागपुर आदि शहरों में कुत्तों के काटने की छिटपुट घटनाओं के कारण हो रही है।
परामर्श -
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AWBI ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों के संबंध में परामर्श जारी किया है जिसके तहत मान्यता प्राप्त एनजीओ को पशु जन्म नियंत्रण व रेबीज रोधी टीकाकरण (ABC/AR) कार्यक्रम के लिए अनुमति दी गई है।
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प्रत्येक जिले में आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त संख्या में खिलाने वाली जगहों की पहचान करने को कहा गया है।
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मानव और पशु के बीच के संघर्ष में कमी लाने और समाज या क्षेत्र में शांति एवं सद्भाव स्थापित करने संबंधित, पशु कल्याण के मुद्दों पर कदम उठाने के लिए अनुरोध किया गया है।
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मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के प्रावधानों का प्रभावी कार्यान्वयन।
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सामुदायिक जानवरों को गोद लेने के लिए आदर्श प्रोटोकॉल को ठीक प्रकार से लागू करने और प्रसारित करने के लिए अनुरोध किया गया है.
पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001
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केंद्र सरकार द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 तैयार किया गया है, जिसे आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्राधिकरण द्वारा लागू किया जाता है।
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नियमों का मुख्य केंद्रबिंदु आवारा कुत्तों में रेबीज रोधी टीकाकरण और उनकी जनसंख्या स्थिर करने के साधन के रूप में आवारा कुत्तों को नपुंसक बनाना है।
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हालांकि, यह देखा गया है कि नगर निगम/स्थानीय निकायों द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 का कार्यान्वयन समुचित रूप से नहीं किया जा रहा है और इसके स्थान पर शहरी क्षेत्रों से कुत्तों को स्थानांतरित करने की कोशिश की जाती है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
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सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न आदेशों में विशेष रूप से उल्लेख किया है कि कुत्तों को स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और नगर निगमों को ABC तथा रेबीज रोधी कार्यक्रम को संयुक्त रूप से लागू करने की आवश्यकता है।
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RWA उन क्षेत्रों में कुत्तों को खिलाने या खिलाने का स्थल प्रदान करने से भी मना नहीं कर सकता है जहां ये कुत्ते निवास कर रहे हैं।
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पशुओं की देखभाल करने या खिलाने वाले इन जानवरों को अपनी ओर से करुणा के साथ खिला या देखभाल कर रहे हैं।
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भारत के संविधान ने देश के नागरिक को 51 ए(जी) के अंतर्गत ऐसा करने की अनुमति प्रदान की है।
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इसलिए, AWBI के परामर्शों का पालन करते हुए, जानवरों को खिलाने या देखभाल करने वालों को उनके कार्यों से नहीं रोका जा सकता है।
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इसलिए सभी RWA और भारत के सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे कुत्तों को खिलाने या देखभाल करने वालों के खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिकूल कार्रवाई न करें और कुत्तों को जहर देने या अन्य अत्याचार का सहारा नहीं लें क्योंकि यह देश के कानून के खिलाफ है।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के बारे में
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भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्लूबीआई) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (पीसीए अधिनियम) के अंतर्गत स्थापित की गई एक सांविधिक निकाय है।
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AWBI, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पशुओं के मामलों में सलाह देने वाली एक निकाय है और यह पीसीए अधिनियम, 1960 तथा इस अधिनियम के अंर्गतम बनाए गए नियमों के कार्यान्वयन संबंधित मामलों को भी देखता है।
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बोर्ड में 28 सदस्य होते हैं, जो 3 साल की अवधि के लिए सेवा करते हैं।
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इसका मुख्यालय चेन्नई में था, और 2018 की शुरुआत में हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में स्थानांतरित हो गया।
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बोर्ड शुरू में भारत सरकार के खाद्य और कृषि मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में था। 1990 में, पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम के विषय को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां यह अब स्थित है।
Source - PIB
Nirman IAS (Surjeet Singh)
Current Affairs Author