Arya Samaj

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आर्य समाज

23 Mar, 2023

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में आर्य समाज ने अपना 148वां स्थापना दिवस मनाया, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए

मुख्य बिंदु :-

आर्य समाज के बारे में

  • आर्य समाज एक हिंदू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना 1875 में मुंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी।
  • आर्य शब्द का अर्थ है श्रेष्ठ और प्रगतिशील। अतः आर्य समाज का अर्थ हुआ श्रेष्ठ और प्रगतिशीलों का समाज, जो वेदों के अनुकूल चलने का प्रयास करते हैं। दूसरों को उस पर चलने को प्रेरित करते हैं।
  • आर्य समाज का मुख्य लक्ष्य हिंदू धर्म के सिद्धांतों को उनके शुद्धतम और सबसे मूल रूप में बढ़ावा देना और जातिवाद, बाल विवाह और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करना है।
  • आर्य समाज वेदों, प्राचीन हिंदू शास्त्रों के अधिकार में विश्वास करता है, और किसी भी अन्य धार्मिक ग्रंथों या प्राधिकरणों के अधिकार को अस्वीकार करता है।
  • वे एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं, और एक सर्वोच्च व्यक्ति की पूजा करते हैं, जिसे "ब्राह्मण" कहा जाता है।
  • आंदोलन विशेष रूप से संस्कृत भाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर देता है और प्राचीन भारतीय दर्शन और संस्कृति के अध्ययन को प्रोत्साहित करता है।
  • आर्य समाज भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रभावशाली रहा है, और इसके कई सदस्य ब्रिटिश शासन से आजादी के संघर्ष में शामिल थे।
  • आंदोलन ने शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और अन्य सामाजिक सेवा संगठनों की भी स्थापना की है और भारतीय समाज पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
  • आज, आर्य समाज के भारत और दुनिया भर में अनुयायी हैं, और यह सामाजिक सुधार, शिक्षा और प्राचीन हिंदू परंपराओं के पुनरुद्धार के अपने संदेश को बढ़ावा देना जारी रखता है।
  • प्रसिद्ध आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, भाई परमानन्द, राम प्रसाद 'बिस्मिल', पंडित गुरुदत्त, स्वामी आनन्दबोध सरस्वती, चौधरी छोटूराम, चौधरी चरण सिंह, पंडित वन्देमातरम रामचन्द्र राव, के बाबा रामदेव आदि आते हैं।

आर्यसमाज का योगदान

  • आर्य समाज शिक्षा, समाज-सुधार एवं राष्ट्रीयता का आन्दोलन था। भारत के 85 प्रतिशत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, आर्य समाज ने पैदा किया। स्वदेशी आन्दोलन का मूल सूत्रधार आर्यसमाज ही है।
  • स्वामी जी ने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुन: हिंदू बनने की प्रेरणा देकर शुद्धि आंदोलन चलाया।
  • आज विदेशों तथा योग जगत में नमस्ते शब्द का प्रयोग बहुत साधारण बात है। एक जमाने में इसका प्रचलन नहीं था - हिन्दू लोग भी ऐसा नहीं करते थे। आर्यसमाजियो ने एक-दूसरे को अभिवादन करने का ये तरीका प्रचलित किया। ये अब भारतीयों की पहचान बन चुका है।
  • स्वामी दयानन्द ने हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक तथा अनेक वेदभाष्यों की रचना की।वस्तुतः आर्यसमाजियों द्वारा की गयी हिन्दी-सेवा अद्वितीय है।
  • सन् 1886 में लाहौर में स्वामी दयानंद के अनुयायी लाला हंसराज ने दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना की थी।
  • सन् 1901 में स्वामी श्रद्धानन्द ने कांगड़ी में गुरुकुल विद्यालय की स्थापना की।
  • अनेक आर्यसमाजी विदेशों में जाकर हिन्दुओं में हिन्दी भाषा एवं स्वातंत्र्य-चेतना का प्रसार किया।
  • आर्यसमाज ने भारत को संस्कृत, हिन्दी, इतिहास, विज्ञान और अन्यान्य विषयों के हजारों उत्कृष्ट विद्वान दिये।
  • वेलेन्टाइन शिरोल नामक एक अंग्रेज ने 'इंडियन अनरेस्ट' (indian unrest) नामक अपनी पुस्तक में तो सत्यार्थ प्रकाश को 'ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें खोखली करने वाला' और दयानन्द सरस्वती को 'भारतीय अशांति का जन्मदाता' बताया है।

Source - PIB

Nirman IAS Team

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