बाघ संरक्षण पर चौथा एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
24 Jan, 2022
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में बाघ संरक्षण पर चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
मुख्य बिंदु :-
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हाल ही में 19-21 जनवरी 2022 को बाघ संरक्षण पर चौथे एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जो वैश्विक बाघ पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम और बाघ संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धताओं की प्रगति की समीक्षा को लेकर महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
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उल्लेखनीय है की इस सम्मेलन का आयोजन मलेशिया सरकार और ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) ने किया। इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने किया।
बाघ संरक्षण में भारत के कदम –
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भारत इस साल के अंत में रूस के व्लादिवोस्तोक में होने वाले ग्लोबल टाइगर समिट (वैश्विक बाघ सम्मेलन) के लिए नई दिल्ली घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने में टाइगर रेंज देशों को सुविधा प्रदान करेगा।
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उल्लेखनीय है की 2010 में नई दिल्ली में एक "प्री टाइगर समिट" बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ग्लोबल टाइगर समिट के लिए बाघ संरक्षण पर मसौदा घोषणा को अंतिम रूप दिया गया था।
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भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से 4 साल पहले 2018 में ही बाघों की आबादी को दोगुना करने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। भारत में बाघ के शासन की सफलता का मॉडल अब शेर, डॉल्फिन, तेंदुए, हिम तेंदुए और अन्य छोटी जंगली बिल्लियों जैसे अन्य वन्यजीवों के लिए दोहराया जा रहा है जबकि देश चीता को उसके ऐतिहासिक दायरे में लाने की दहलीज पर है।
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बाघ संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन 2014 के 185 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 300 करोड़ रुपये हो गया है और साथ ही भारत में 14 टाइगर रिजर्व को पहले ही अंतरराष्ट्रीय सीए/टीएस मान्यता से सम्मानित किया जा चुका है और अधिक टाइगर रिजर्व को सीए/टीएस मान्यता दिलाने के प्रयास जारी हैं।
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फ्रंटलाइन स्टाफ बाघ संरक्षण का महत्वपूर्ण स्तंभ है और इसलिए सरकार ने श्रम और रोजगार मंत्रालय की हालिया पहल ई-श्रम योजना के तहत प्रत्येक संविदा/अस्थायी कर्मचारी को 2 लाख रुपये का जीवन बीमा दिया है और आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा किया है।
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भारत में 51 टाइगर रिजर्व द्वारा लगभग 4.3 मिलियन मानव-दिवस रोजगार सृजित किए जा रहे हैं और प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) से धन का उपयोग टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्रों से स्वैच्छिक गांव पुनर्वास को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
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भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि बाघ, पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष शिकारी हैं, जो पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को विनियमित करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं। इस शीर्ष मांसाहारी के संरक्षण को सुनिश्चित करना जैसा कि वे जिस जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं वनाच्छादित पारिस्थितिक तंत्र की भलाई, साथ ही साथ पानी और जलवायु सुरक्षा की भी गारंटी देता है।
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बाघ के शरीर के अंगों और उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग के कारण संगठित शिकार में वृद्धि, बाघों के शिकार की कमी व बाघ संरक्षण के लिए प्रमुख चुनौतियों के रूप में आवास के नुकसान पर प्रकाश डालते हुए श्री यादव ने कहा कि दुनिया भर में जंगली बाघों की स्थिति खतरे में बनी हुई है और देश विशिष्ट, क्षेत्र विशिष्ट के मुद्दे बाघों को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए हालात सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ-साथ सह अनुकूलनीय और सक्रिय प्रबंधन की मांग करती है।
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भारत में ऊंचे पहाड़ों, मैंग्रोव (गरान) दलदलों, ऊंचे घास के मैदानों से लेकर सूखे और नम पर्णपाती जंगलों के साथ-साथ सदाबहार वन प्रणालियों की विस्तृत विविधताओं में बाघ रहते हैं। इसके आधार पर बाघ न केवल एक संरक्षण प्रतीक है बल्कि यह भारतीय उपमहाद्वीप में अधिकांश पारिस्थितिकी तंत्र के लिए छत्र प्रजाति की तरह भी है।
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उल्लेखनीय है की ग्लोबल टाइगर फोरम-भारत टाइगर रेंज देशों के अंतर सरकारी मंच के संस्थापक सदस्यों में से एक है और और इन वर्षों में GTF ने भारत सरकार, भारत के जिन राज्यों में बाघ हैं और टाइगर रेंज देशों के साथ मिलकर काम करते हुए कई विषयगत क्षेत्रों पर अपने कार्यक्रमों का विस्तार किया है।
ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) के बारे में -
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ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum-GTF) बाघों की रक्षा के लिये इच्छुक देशों द्वारा स्थापित एकमात्र अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय निकाय है।
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GTF का गठन 1993 में नई दिल्ली, भारत में बाघ संरक्षण पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की सिफारिशों पर किया गया था।
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GTF दुनिया के 13 टाइगर रेंज के देशों में वितरित बाघों की शेष 5 उप प्रजातियों को बचाने पर केंद्रित है।
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फोरम की स्थापना के लिये टाइगर रेंज के देशों की पहली बैठक 1994 में हुई थी, जिसमें भारत को अध्यक्ष चुना गया था और अंतरिम सचिवालय बनाने के लिये कहा गया था।
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1997 में, GTF एक स्वतंत्र संगठन बना। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
कुछ प्रमुख तथ्य –
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बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है ।
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भारत का पहला बाघ रिजर्व जिम कार्बेट है, जिसे 1 अप्रैल 1973 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था हालांकि जिम कार्बेट को नेशनल पार्क का दर्जा 1936 में दिया गया था ।
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वर्तमान में देश में कुल 53 टाइगर रिजर्व हैं । देश का सबसे नवीनतम 53 वा टाइगर रिजर्व हाल ही में छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्य जीव अभ्यारण के संयुक्त क्षेत्र को घोषित किया गया है ।
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52वा टाइगर रिजर्व राजस्थान में रामगढ़ विषधारी अभ्यारण है, जिसे 2021 में राजस्थान सरकार ने टाइगर रिजर्व के रूप में मान्यता दी है ।
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क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व नागार्जुन सागर श्रीशैलम सबसे बड़ा है।
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क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा टाइगर रिजर्व पेंच (महाराष्ट्र) है ।
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विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित टाइगर रिजर्व नामदफा अरुणाचल प्रदेश में है ।
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देश के कुल 18 राज्यों में बाघ पाए जाते हैं
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कैलाश सांखला को “टाइगर मैन ऑफ इंडिया” भी कहा जाता है ।
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पूरे विश्व में सबसे अधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं ।
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2019 में आई बाघों पर रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2967 बाघ हैं ।
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भारत में सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं । मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक में सबसे अधिक 524 बाघ पाए जाते हैं ।
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29 जुलाई को पूरे विश्व में विश्व बाघ दिवस के रुप में मनाया जाता है ।
Source – PIB
Nirman IAS (Surjeet Singh)
Current Affairs Author