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20वीं पशुधन गणना के आधार पर नस्ल के अनुसार पशुधन और पोल्ट्री रिपोर्ट जारी

14 May, 2022

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने नई दिल्ली में 20वीं पशुधन गणना के आधार पर नस्ल के अनुसार पशुधन और पोल्ट्री रिपोर्ट जारी की।

मुख्य बिंदु:-

  • श्री रूपाला ने पशुधन को उन्नत बनाने के लिए रिपोर्ट के महत्व पर प्रकाश डाला और नीति-निर्धारकों तथा शोधकर्ताओं के लिए इसकी उपयोगिता पर बल दिया।
  • नस्ल के अनुसार डाटा संग्रह करने का काम 20वीं पशुधन गणना, 2019 के साथ किया गया।
  • देश में पहली बार नस्ल के अनुसार डाटा संग्रह का काम किया गया। डाटा एकत्रित करने का काम कागज के स्थान पर टैबलेट कंप्यूटर का इस्तेमाल करके किया गया, जो वास्तव में अनूठा प्रयास है।
  • राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) की मान्यता के आधार पर पशुधन तथा पोल्ट्री पक्षियों की गणना की गई।
  • पशुधन क्षेत्र के महत्व पर विचार करते हुए नीति-निर्धारकों और शोधकर्ताओं के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे पशुधन प्रजातियों की विभिन्न नस्लों का पता लगाएं, ताकि पशुधन प्रजातियों के उत्पाद तथा अन्य उद्देश्यों के लिए अधिकतम उपलब्धि के उद्देश्य से आनुवंशिक उन्नयन किया जा सके।

नस्ल के अनुसार पशुधन तथा पोल्ट्री रिपोर्ट के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं-

  • रिपोर्ट में एनबीएजीआर (राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) द्वारा पंजीकृत 19 चयनित प्रजातियों की 184 मान्यता प्राप्त स्वदेशी / विदेशी और संकर नस्लों को शामिल किया गया है।
  • रिपोर्ट में 41 मान्यता प्राप्त स्वदेशी मवेशी हैं जबकि 4 विदेशी/संकर नस्लें शामिल हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार कुल मवेशियों की आबादी में विदेशी और संकर पशु का योगदान लगभग 26.5 प्रतिशत है जबकि 73.5 प्रतिशत स्वदेशी और बिना वर्ग के मवेशी हैं।
  • कुल विदेशी/संकर मवेशियों में संकर होल्स्टीन फ्राइज़ियन (एचएफ) के 39.3 प्रतिशत की तुलना में संकर जर्सी का हिस्सा 49.3 प्रतिशत है।
  • कुल देशी मवेशियों में गिर, लखीमी और साहीवाल नस्लों का प्रमुख योगदान है।
  • भैंस में मुर्रा नस्ल का प्रमुख योगदान 42.8 प्रतिशत है, जो सामान्यतः उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पाया जाता है।
  • भेड़ में 3 विदेशी और 26 देशी नस्लें पाई गईं। शुद्ध विदेशी नस्लों में कोरिडेल नस्ल का योगदान प्रमुख रूप से 17.3 प्रतिशत है और स्वदेशी नस्लों में नेल्लोर नस्ल का योगदान 20.0 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ श्रेणी में सबसे अधिक है।
  • देश में बकरियों की 28 देशी नस्लें पाई गई हैं। ब्लैक बंगाल नस्ल का योगदान 18.6 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक है।
  • विदेशी/संकर सूअरों में संकर नस्ल के सुअर का योगदान 86.6 प्रतिशत है, जबकि यॉर्कशायर का योगदान 8.4 प्रतिशत है। स्वदेशी सूअरों में डूम नस्ल का योगदान 3.9 प्रतिशत है।
  • घोड़ा तथा टट्टुओं में मारवाड़ी नस्ल का हिस्सा प्रमुख रूप से 9.8 प्रतिशत है।
  • गधों में स्पीति नस्ल की हिस्सेदारी 8.3 प्रतिशत है।
  • ऊँट में बीकानेरी नस्ल का योगदान 29.6 प्रतिशत है।
  • कुक्कुट, देसी मुर्गी में, असील नस्ल मुख्य रूप से बैकयार्ड कुक्कुट पालन और वाणिज्यिक कुक्कुट फार्म दोनों में योगदान करती है।

पशुधन जनगणना

  • भारत की पहली पशु जनगणना दिसंबर 1919-अप्रैल 1920 में की गई थी। तब से यह हर पांच साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
  • पशुधन जनगणना का संचालन कृषि मंत्रालय, पशुपालन विभाग, डेयरी और मत्स्य पालन, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा किया जाता है।
  • राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा अब तक ऐसी 19 गणनाएँ की जा चुकी हैं।
  • 20वीं पशुधन जनगणना में पहली बार फील्ड से ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से घरेलू स्तर के डेटा का उपयोग किया गया है।
  • जनगणना केवल नीति निर्माताओं के लिये ही नहीं बल्कि किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों, डेयरी उद्योग और आम जनता के लिये भी फायदेमंद है।

Source: PIB

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author