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बंदी हाथियों की बिक्री और खरीद को प्रोत्साहित नहीं करने की सिफारिश

20 Apr, 2022

चर्चा में क्यों?

वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 (Wild Life (Protection) Amendment Bill, 2021) लोकसभा में पेश होने के बाद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर गठित ‘स्थायी समिति’ के लिए भेजा गया था।

मुख्य बिंदु:-

  • इस ‘स्थायी समिति’ ने हाल ही में, केंद्र सरकार से बंदी हाथियों की बिक्री और खरीद को प्रोत्साहित नहीं करने की सिफारिश की है।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (Wildlife (Protection) Act, 1972) की धारा 43 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, जिसके कब्जे में ऐसा बंदी जीव, जीव-वस्तु (animal article), ट्राफी या असंसाधित ट्राफी (Uncured Trophy) है, जिसके संबंध में उसके पास स्वामित्व प्रमाणपत्र है, ऐसे किसी प्राणी / जीव या प्राणी-वस्तु, ट्राफी या असंसाधित ट्राफी का, विक्रय या विक्रय के बदले वाणिज्यिक प्रकृति के प्रतिफल के किसी अन्य ढंग से, कोई अंतरण नहीं करेगा।
  • संशोधित विधेयक में ‘हाथियों’ के लिए इस धारा से छूट का प्रावधान किया गया है।

विधेयक के संबंध में स्थायी समिति द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दे

  • स्थायी समिति ने बताया है, कि संशोधित विधेयक में ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम’, 1972 के अंतर्गत निर्धारित तीनों अनुसूचियों में ‘कई प्रजातियां’ गायब हैं।
  • समिति के अनुसार, कुछ प्रजातियाँ, जो अनुसूची I में होनी चाहिए लेकिन उन्हें अनुसूची II में रखा गया है।
  • अनुसूची I और अनुसूची II के साथ-साथ अनुसूची III में भी कुछ प्रजातियां पूरी तरह से गायब हैं।
  • समिति के अनुसार, संसोधन विधेयक “मानव-पशु संघर्ष” संबंधी मामलों का समाधान करने में भी विफल रहा है।

वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 के प्रमुख बिंदु

  • ‘वन्यजीव अधिनियम’ में प्रस्तावित संशोधन विस्तार की दृष्टि से संभवतः अब तक के सबसे व्यापक संशोधन हैं: इसमें वन्य प्रजातियों के व्यापार से लेकर संरक्षित क्षेत्रों में फिल्म निर्माण की अनुमति देने और आक्रामक प्रजातियों के प्रसार को नियंत्रित करने हेतु कानून संबंधी अधिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

प्रस्तावित संशोधन में सकारात्मक बिंदु

  • प्रस्तावित विधेयक में वन्यजीव अपराधों के लिए जुर्माने में वृद्धि की गयी है। उदाहरण के लिए, जिन अपराधों के लिए अब तक 25,000 रुपये का जुर्माना लगता था, उन पर अब 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।
  • लुप्तप्राय वन्यजीव तथा वनस्पति प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के अनुसार, क़ानून में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में शामिल प्रजातियों को विनियमित करने संबंधी एक नया और अलग अध्याय शामिल किया गया है।
  • विधेयक में CITES अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना प्रजातियों को रखने, व्यापार करने और प्रजनन करने पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।
  • विधेयक में आक्रामक विदेशी प्रजातियों द्वारा उत्पन्न खतरों को भी स्वीकार किया गया है।

प्रस्तावित विधेयक में खामियां एवं संबंधित चिंताएं

  • विधेयक में क्षेत्रीय ‘आक्रामक प्रजातियों’ (Invasive Species) को शामिल नही किया गया है। इनमे से कुछ प्रजातियां देशीय हो सकती हैं किंतु देश के अन्य हिस्सों में ‘आक्रामक’ हो सकती हैं।
  • संशोधन विधेयक में, अधिनियम के अंतर्गत ‘नाशक’ (Vermin) के रूप में वर्गीकृत की गयी प्रजातियों के लिए किसी अलग अनुसूची का उल्लेख नहीं है। और इससे केंद्र सरकार के लिए ऐसी प्रजातियों को सीधे अधिसूचित करने और उन्हें नष्ट करने हेतु छूट देने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। इन प्रजातियों में वर्तमान में अनुसूची II की कुछ प्रजातियां भी शामिल हैं।
  • विधेयक में ‘अनुसूचियों’ में परिवर्तन किए जाने का प्रस्ताव भी किया गया है। मुख्यतः, इसमें सूचियों को “तर्कसंगत” बनाने के लिए अनुसूचियों की संख्या को छह से घटाकर चार कर दी गयी है। लेकिन, इसमें संरक्षित प्रजातियों को निर्दिष्ट करने वाली दो मुख्य स्थानापन्न अनुसूचियां अधूरी हैं।
  • विधेयक में मौजूदा ‘राज्य वन्यजीव बोर्डों’ को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है, इनके स्थान पर संबंधित राज्य के वन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य वन्यजीव बोर्ड की ‘स्थायी समिति’ का गठन किया जाएगा, जिसमे मंत्री द्वारा नामित 10 सदस्य होंगे।
  • ‘राज्य वन्यजीव बोर्ड’ वर्तमान में राज्य स्तर पर वन्यजीवों के संरक्षण और संरक्षण का प्रबंधन करते हैं। बोर्ड की अध्यक्ष राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं और इसमें राज्य विधानमंडल, गैर सरकारी संगठन, संरक्षणवादी और राज्य वन विभागों और आदिवासी कल्याण के प्रतिनिधि सहित बीस से अधिक सदस्य होते हैं।
  • प्रस्तावित संशोधनों के तहत, ‘वन्य जीव अधिनियम’ के तहत अब हाथियों की व्यावसायिक बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध नहीं रहेगा। इस प्रावधान का दुरुपयोग किए जाने की काफी संभवना है और यह हाथियों के व्यापार को वैध बनाकर, हाथियों की आबादी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • ‘वन्य जीव अधिनियम (संरक्षण) अधिनियम’ (Wild Life Act (Protection) Act) वर्ष 1972 में, संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था:

वन्य जीवन अधिनियम में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:

  • राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड का गठन;
  • जंगली जानवरों और पक्षियों के शिकार के लिए नियम;
  • अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना;
  • जंगली जानवरों, पशु उत्पादों और ट्राफियों के व्यापार के लिए नियम;
  • अधिनियम के उल्लंघन के लिए न्यायिक रूप से लगाया जाने वाला दंड।

वन्य जीवन अधिनियम के अंतर्गत

  • अधिनियम की अनुसूची I में सूचीबद्ध लुप्तप्राय प्रजातियों को क्षति पहुंचाना पूरे भारत में प्रतिबंधित है।
  • विशेष सुरक्षा की जरूरत वाली शिकार की जाने वाली प्रजातियों (अनुसूची II), बड़े खेल (अनुसूची III) और छोटे खेल (अनुसूची IV) को लाइसेंस के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा।
  • नाशक / वर्मिन (अनुसूची V) के रूप में वर्गीकृत कुछ प्रजातियों का शिकार, बिना किसी प्रतिबंध के किया जा सकता है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों का क्रियान्वयन वन्यजीव वार्डन और उनके कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
  • 1982 में अधिनियम में किए गए एक संशोधन में, पशु आबादी के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए वन्य जीवों को पकड़ने और उनके परिवहन की अनुमति देने वाला एक प्रावधान शामिल किया गया था।

विभिन्न निकायों का गठन

  • ‘वन्य जीव अधिनियम (संरक्षण) अधिनियम’ (WPA) के तहत राष्ट्रीय और राज्य वन्यजीव बोर्ड, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण जैसे निकायों के गठन का प्रावधान किया गया है।

वन्य जीव संबंधी संवैधानिक प्रावधान:

  • 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा, वन एवं वन्य जीवों तथा पक्षियों के संरक्षण को राज्य सूची से हटाकर ‘समवर्ती सूची’ में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 51 A (g) के अनुसार, वनों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है।
  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 48 A के अनुसार, राज्य द्वारा पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने संबंधी प्रयास किए जाएंगे।

Source: AIR

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author