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देश के 11 राज्यों में वन क्षेत्र के दायरे में गिरावट दर्ज की गई

27 Jul, 2022

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में प्रस्तुत केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 11 राज्यों में वन क्षेत्र के दायरे में गिरावट दर्ज की गई है।

मुख्य बिंदु :-

  • यह गिरावट सबसे अधिक अरुणाचल, नगालैंड और मणिपुर जैसे प्रमुख राज्यों में सामने आई है। इन तीन राज्यों में वन क्षेत्र का दायरा 230 से लेकर 236 वर्ग किलोमीटर तक कम हुआ है। हालांकि, सबसे कम हरित क्षेत्र दिल्ली में कम हुआ है।
  • हाल ही में केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह गंभीर स्थिति सामने आई है। इस रिपोर्ट में 2019 के बाद वन क्षेत्र की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन सामने रखा गया है।
  • 2021 में देश के जिन तीन प्रमुख राज्यों में वन क्षेत्र सबसे अधिक कम हुआ है। उन राज्यों में से अरुणाचल में कुल भौगोलिक क्षेत्र 83,743 में से 66,431 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र, मणिपुर में 22,327 में से 16,598 वर्ग किलोमीटर और नगालैंड में 16,579 में से 12,251 वर्ग किलोमीटर पाया गया है, जो कि 2019 की तुलना में कम है।
  • ऐसी ही स्थित देश के अन्य राज्यों में भी सामने आई है। मंत्रालय के अनुसार भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआइ) देहरादून की मदद से यह आकलन हर दो वर्ष बाद किया जाता है। यह आकलन मंत्रालय लगातार 1987 से कर रहा है।
  • इसके आधार पर ही भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आइएसएफआर) तैयार करता है। इस रिपोर्ट को तैयार करने से पूर्व जमीनी सत्यापन और अत्याधुनिक तकनीक ( रिमोर्ट सेंसिंग) मदद ली जाती है।
  • मंत्रालय का मानना है कि वन क्षेत्रों में आई कमी की वजह देश में हो रहे विकासात्मक कार्यकलाप, लघु चक्रीय वृक्षारोपण की कटाई और जैविक दबाव के कारण हो सकती है।
  • आने वाले दिनों में मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर इन क्षेत्रों को अधिक विकसित करने की दिशा में काम करेगा। हालांकि, मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि राष्ट्रीय स्तर पर वन क्षेत्रों का आकलन बताता है कि वन क्षेत्र की स्थिति में इजाफा हुआ है।
  • आइएसएफआर 2019 की रिपोर्ट में कुल वन क्षेत्र का दायरा 1,540 किलोमीटर था। यह दायरा 2021 की रिपोर्ट में 721 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है। कुल वन क्षेत्र का दायरा बढ़कर कर 2,261 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
  • गौरतलब है कि भारत व पेरिस समझौते के अनुसार 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षारोपण ढाई से तीन बिलियन टन के बराबर कार्बन तत्वों में कमी लाने के लिए पहल की जाएगी।
  • आइएसएफआर के दिशा निर्देश का पालन करते हुए हरित क्षेत्र के आधार पर कार्बन तत्वों में लाई गई कमी का आकलन किया जा रहा है। 

Source – DTE

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author