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धान की रोपाई में पिछले साल के मुकाबले 33.91 लाख हेक्टेयर की कमी

30 Jul, 2022

चर्चा में क्यों ?

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 22 जुलाई तक कुल 172.70 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि तक कुल 206.61 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो गई थी।

मुख्य बिंदु :-

  • ऐसे में इस बार धान की रोपाई में पिछले साल के मुकाबले 33.91 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। दलहनी फसलों में प्रमुख अरहर की खेती का रकबा पिछले साल के 38.98 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार केवल 31.09 लाख हेक्टेयर हो पाया है।
  • पूर्वी राज्यों में सूखे जैसी स्थिति हो गई है। इससे खरीफ सीजन की खेती पर संकट गहराने लगा है। सीजन की प्रमुख फसल धान की रोपाई बरी तरह प्रभावित हुई है। दलहनी फसलों में अरहर की बोआई बहुत पीछे है। धान की रोपाई में विलंब से चावल उत्पादन पर विपरीत असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। 
  • चालू मानसून सीजन में पूर्वी क्षेत्र के राज्यों बंगाल, झारखंड, बिहार और उप्र में वर्षा सामान्य से 45-74 प्रतिशत तक कम हुई है।
  • पहली वर्षा के बाद ही इन राज्यों में मोटे अनाज, दलहनी व तिलहनी फसलों की बोआई कर दी गई। जबकि धान की नर्सरी पहले ही डाल दी गई थी। पूर्वी क्षेत्र में वर्षा न होने से खड़ी फसलें सूख गई और धान की रोपाई बाधित हो गई।
  • पिछले तीन-चार दिनों से वर्षा शुरू हुई है। इससे माना जा रहा है कि आने वाले पखवाड़े में धान की रोपाई का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। 
  • इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक व धान के प्रमुख वैज्ञानिक डाक्टर एके सिंह के मुताबिक, नर्सरी से धान की रोपाई हर हाल में 25 दिनों में हो जानी चाहिए।
  • नर्सरी 30 दिन की हो जाने पर पांच प्रतिशत और अधिक विलंब होने की दशा में (120 दिनों वाली) सामान्य प्रजाति के धान की उत्पादकता 50% तक प्रभावित हो सकती है। जबकि 155-160 दिनों में तैयार होने वाली प्रजाति पर इसका मामूली असर पड़ता है। तैयार नर्सरी की रोपाई में 35 दिन की देरी पर अधिकतम 10 से 15% का नुकसान हो सकता है। 

Source – IE

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author