What is the EU's carbon cap adjustment mechanism?

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यूरोपीय संघ की कार्बन सीमा समायोजन तंत्र क्या है?

24 May, 2023

यूरोपीय आयोग में कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) पर हस्ताक्षर किए गए। यूरोपीय संघ में प्रवेश करने वाले कार्बन सघन सामानों (Carbon intensive products) के उत्पादन के दौरान उत्सर्जित कार्बन पर "उचित मूल्य" लगाने और गैर-यूरोपीय संघ के देशों में स्वच्छ औद्योगिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने के उपकरण के रूप में वर्णित किया गया है।

 

कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM)

उद्देश्य: कार्बन रिसाव' को रोकना। यह एक ऐसी घटना को संदर्भित करता है जहां यूरोपीय संघ के उत्पादक, अपनी कंपनी को ऐसे देशों में स्थानांतरित करते है जहां जलवायु नीतियां कम कठोर है और अपने उत्पादों को फिर वह यूरोपीय संघ में निर्यात करते है।

 

  • 2026 में CBAM के पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद यूरोपीय संघ में आयातकों को अन्य महाद्वीपों से समान आयात हेतु देय कार्बन मूल्य के बराबर कार्बन प्रमाण पत्र खरीदना होगा।
  • आयातकों को मई के अंत तक पिछले वर्ष में क्षेत्र में आयात किए गए सामानों की मात्रा और सन्निहित उत्सर्जन की वार्षिक घोषणा करनी होगी।

 

CBAM के लाभ

  • वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को कम करने, गैर-यूरोपीय संघ के देशों को अधिक कड़े पर्यावरणीय नियमों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • कंपनियों को कमजोर पर्यावरणीय नियमों वाले देशों में स्थानांतरित होने से हतोत्साहित करके कार्बन रिसाव को रोकता है।
  • राजस्व उत्पन्न करता है जिसका उपयोग यूरोपीय संघ की जलवायु नीतियों का समर्थन करने के लिए किया जा सकता है।
  • यह महाद्वीप के व्यापक यूरोपीय ग्रीन डील का भी हिस्सा होगा जो 2030 तक 1990 के स्तर की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में 55% की कमी हासिल करने और 2050 तक एक जलवायु तटस्थ महाद्वीप बनने का प्रयास करता है।

 

क्यों चिंतित हैं देश?

  • CBAM शुरू में कुछ सामानों के आयात पर लागू होगा, जिनका उत्पादन कार्बन-सघन है। जैसे- सीमेंट, लोहा और इस्पात, एल्यूमीनियम, उर्वरक, बिजली आदि
  • विकासशील देशों में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित होंगे। यूरोपीय संघ के देश संयुक्त रूप से स्टील और एल्यूमीनियम सहित सभी उत्पादों के लिए भारत के निर्यात मिश्रण का लगभग 14% प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • इन पांच खंडों में भारत का निर्यात 2019 और 2021 के बीच यूरोपीय संघ को कुल निर्यात का 2% से भी कम है। यूरोपीय संघ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।

 

Nirman IAS Team

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