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गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं

30 Jul, 2022

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती में अंतर के लिए सरल प्रमाणन प्रणाली विकसित करने की जरूरत है। 

मुख्य बिंदु :-

  • उन्होंने बताया कि सरकार 2020 - 21 से परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी)को लागू कर रही है। बीपीकेपी के तहत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण , प्रमाणीकरण और अवशेष विश्लेषण के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। 
  • प्राकृतिक खेती में बाहर से मिट्टी में न तो रासायनिक और न ही जैविक खाद मिलाया जाता है। जैविक खेती में, जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। 
  • कृषि मंत्री ने कहा कि न तो देश में गेहूं का संकट और न ही निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 
  • निर्यात प्रतिबंध के बावजूद भी घरेलू गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रही हैं। सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2021-22 में देश का गेहूं उत्पादन 10.6 करोड़ टन होने का अनुमान है। 
  • सरकार का तीसरा गेहूं अनुमान पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है, लेकिन यह पिछले पांच वर्षों के दौरान प्राप्त औसत वार्षिक गेहूं उत्पादन 10.3 करोड़ से अधिक है। 
  • 2020-21 में देश का गेहूं उत्पादन 10.9 करोड़ टन रहा था। देश में गेहूं का संकट नहीं है, क्योंकि भारत अपनी घरेलू जरूरत से ज्यादा पैदा करता है। 

Source – IE

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author