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गोबी मछली की दो नई प्रजातियां

15 Jan, 2022

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में शोधकर्ताओं की एक टीम ने गोबी मछली की दो नई प्रजातियो की खोज की, आइये जानते है इनके बारे में

मुख्य बिंदु :-

  • शोधकर्ताओं की एक टीम ने फिलीपींस के पालावान में गोबी मछली की दो नई प्रजातियां खोज निकाली हैं। गोबी मछली के दोनों वंश राइनो गोबियस से संबंधित हैं।
  • यह खोज जापान के ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी (OIST) और फिलीपींस में वेस्टर्न फिलीपींस यूनिवर्सिटी (WPU) के शोधकर्ताओं ने की है।
  • मछली की इन प्रजातियों में से एक को लैटिन वैज्ञानिक नाम राइनो गोबियस एस्ट्रेला दिया गया, जिसे बारंगे एस्ट्रेला गांव में झरना एस्ट्रेला फॉल्स के नाम पर रखा गया था, जहां गोबी की खोज की गई थी। 
  • दूसरी प्रजाति का नाम राइनो गोबियस टंडिकन था, जिसका नाम पालावान मोर-तीतर से प्रेरित है जिसे स्थानीय रूप से "टंडिकन" के रूप में जाना जाता है।
  • OIST में मरीन इको-इवो-देवो यूनिट के वैज्ञानिक और अध्ययनकर्ता डॉ केन मैदा ने कहा कि टंडिकन गोबी के शरीर पर नीले निशान पाए गए।
  • राइनोगो बियस एस्ट्रेला और राइनो गोबियस टंडिकन तीसरी और चौथी नई गोबी प्रजातियां हैं, जिन्हें OIST और WPU के बीच एक सहयोगी परियोजना के हिस्से के रूप में फिलीपींस के पालावान में खोजा गया है।
  • पालावान के उष्णकटिबंधीय द्वीपों में राइनो गोबियस प्रजातियों की पहचान से पता चलता है कि इस गोबी वंश की सीमा पहले से ज्ञात दक्षिण की तुलना में बहुत आगे तक फैली हुई है।
  • शोधकर्ताओं ने बताया की राइनो गोबियस की रहने वाली जगहें आमतौर पर समशीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पालावान की तुलना में उत्तर में वियतनाम, चीन, जापान और यहां तक ​​कि रूसी सुदूर पूर्व जैसे स्थानों में स्थित है। पालावान में इस वंश से गोबी ढूंढना बहुत अप्रत्याशित था।
  • शोध दल ने दो प्रजातियों के लिए माइटोकॉन्ड्रिया से लिए गए DNA का भी विश्लेषण किया, जिसने दोनों प्रजातियों को राइनो गोबियस समूह के भीतर एक प्राचीन वंश में रखा। पहले केवल एक अन्य गोबी, राइनो गोबियस सिमिलिस, इस विकासवादी रेखा से संबंधित था। तीन प्रजातियां भी इस वंश के लिए समान आकार संबंधी विशेषताओं को साझा करती हैं, जिसमें उनके सिर पर सेंसर की व्यवस्था भी शामिल है।
  • उल्लेखनीय है की राइनो गोबियस सिमिलिस के विपरीत, जिसमें जापान से वियतनाम तक एक विस्तृत सीमा है, दो नई प्रजातियां स्थानीय लगती हैं, जिसका अर्थ है कि वे केवल एक ही स्थान पर पाए जाते हैं, यहां तक ​​कि पालावान द्वीप के अंदर भी ऐसा ही है।
  • उल्लेखनीय है की वैज्ञानिकों ने इन दो नई प्रजातियों की रक्षा करने का आग्रह किया है, साथ ही उनके आवासों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर देने की बात कही है। उनकी स्थानीय प्रकृति वास्तव में दोनों प्रजातियों के लिए खतरे के स्तर को बढ़ाती है। उनके आवास में कोई भी व्यवधान, जैसे बांध, सड़क या कृषि के लिए भूमि का विकास आदि से उनके विलुप्त होने का खतरा हो सकता है।

Source – Down to Earth

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author