अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस
30 Nov, 2022
चर्चा में क्यों ?
29 नवम्बर 2022 को राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया गया
मुख्य बिंदु :-
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राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली (दिल्ली चिड़ियाघर) ने अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया। इस मौके पर राष्ट्रीय प्राणी उद्यान ने जू वॉक और बिग कैट्स एवं जगुआर पर एक्सपर्ट से बातचीत जैसी कई गतिविधियां आयोजित कीं।
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इसमें लिटिल स्टार पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण के महत्व को समझने के लिए जिज्ञासा जगाने एवं प्रोत्साहित करने को विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र, वन्यजीव संरक्षण पर पुस्तकें और स्मारिका प्रदान की गई।
अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस के बारे में
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हर साल अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस 29 नवंबर को मनाया जाता है।
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जगुआर के लिए बढ़ते खतरों और उसके अस्तित्व को सुनिश्चित करने वाले संरक्षण के महत्वपूर्ण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
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जैव विविधता संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजाति, सतत विकास और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा वाइल्ड कैट है।
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संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के व्यापक प्रयासों के तहत जगुआर कॉरिडोर और उनके आवासों के संरक्षण की जरूरत पर ध्यान आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय साझीदारों के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय जगुआर दिवस संबंधित देशों की सामूहिक आवाज का प्रतिनिधित्व करता है।
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जगुआर (पैंथेरा ओंका) को अक्सर तेंदुआ समझ लिया जाता है लेकिन उनके शरीर पर बने धब्बों के कारण आसानी से अंतर किया जा सकता है।
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वैसे, कई कैट्स पानी से दूर रहते हैं लेकिन जगुआर अच्छे से तैर सकते हैं। ये पनामा नहर में भी तैरने के लिए जाने जाते हैं।
जगुआर के बारे में
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जैगुआर फ़ेलिडाए कुल का एक शिकारी मांसाहारी जानवर है जो उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में पाई जाने वाली इकलौती पैन्थेरा (Panthera) जाति है।
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सिंह और बाघ के बाद जैगुआर बिल्ली (फ़ेलिडाए) कुल का तीसरा सबसे बड़ा और पृथ्वी के पश्चिमी गोलार्ध (हेमिस्फ़्येर) का पहला सबसे बड़ा सदस्य जानवर है।
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एक वयस्क जगुआर 2 मीटर (7 फुट से अधिक) लंबा, 60 सेंटीमीटर (2 फुट) ऊंचा और 100 किलो भारी होता है। उसकी खाल चमकीली पीली होती है, जिस पर चिकत्तियों के बड़े-बड़े गोल निशान बने होते हैं। पूर्णतः काला जगुआर भी कभी-कभी देखने में आता है।
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वह अपने बड़े-बड़े रदनक दंतों और मजबूत जबड़ों से कठोर-से-कठोर हड्डी को भी काट सकता है और कछुओं की मोटी-से-मोटी खोल को भी भेद सकता है।
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आमतौर पर यह अपने शिकार को कानों के बीच काट कर सीधा कोपल की हड्डी तोड़कर मस्तिष्क पर जानलेवा घाव कर देता है।
आवास
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यह वनों में रहना पसंद करता है लेकिन मैदानों और झाड़ वाले इलाकों में भी घूमता है। इसे पानी के पास रहना पसंद है और बाघ की तरह इसे भी आसानी से तैरना आता है।
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इसे अकेला रहना और पीछा करके अपना शिकार मारना पसंद है।
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इसका निवास क्षेत्र उत्तर में संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ दक्षिणी हिस्सों से लेकर दक्षिण में आर्जेन्टीना के उत्तरी हिस्सों तक है।
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जगुआर मध्य एवं दक्षिण अमरीका के वर्षावनों और दलदली मैदानों में रहता है। पहले वह पूरे उत्तरी अमरीका के गरम इलाकों में भी पाया जाता था, लेकिन अब वह उत्तरी अमरीका में केवल मेक्सिको के कुछ भागों में मिलता है।
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जैगुआर रात के समय सक्रिय रहते है हालांकि शिकार के दौरान ये दिन में भी सक्रिय रहते है। जगुआर किसी भी बीहड़ी,पर्वतीय इलाको में आसानी से रह सकते है ।
जगुआर और तेंदुआ
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जगुआर और तेंदुए के शरीर पर लगभग समान निशान बने होते हैं, पर जगुआर के शरीर के निशान अधिक बड़े और कम संख्या में होते हैं।
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जगुआर के निशानों के बीच में भी चिकत्तियां होती हैं। तेंदुए में ऐसा नहीं होता है।
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इन दोनों बिडालों की शारीरिक गठन भी अलग प्रकार की होती है। जगुआर अधिक गठीला और बड़ा होता है। उसके पैर छोटे होते हैं।
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जगुआर का चेहरा चौकोर होता है, जबकि तेंदुए का गोल।
संरक्षण
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जगुआर को निवास स्थान के नुकसान, निवास स्थान के विखंडन, अपने शरीर के अंगों के साथ व्यापार के लिए अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष स्थितियों में हत्याओं से खतरा है, विशेष रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका में।
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इसे 2002 से IUCN रेड लिस्ट में नियर थ्रेटेंड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
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जगुआर को CITES के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध किया गया है, जिसका अर्थ है कि जगुआर या उनके शरीर के अंगों का सभी अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक व्यापार प्रतिबंधित है।
Source - PIB
Nirman IAS (Surjeet Singh)
Current Affairs Author