भारत-प्रशांत आर्थिक समृद्धि संरचना ( आईपीईएफ ) वार्ता
23 Mar, 2023
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारत ने 13-19 मार्च, 2023 को इंडोनेशिया के बाली में आयोजित द्वितीय भारत-प्रशांत आर्थिक संरचना ( आईपीईएफ ) वार्ता दौर में भाग लिया
मुख्य बिंदु :-
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वाणिज्य विभाग की अगुवाई में भारत के एक अंतर-मंत्रालयी शिष्टमंडल ने 13-19 मार्च, 2023 को इंडोनेशिया के बाली में आयोजित द्वितीय भारत-प्रशांत आर्थिक समृद्धि संरचना ( आईपीईएफ ) वार्ता दौर में भाग लिया।
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अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारूसलम, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड एवं वियतनाम सहित 13 अन्य देशों के वार्ताकारों ने भी बाली में आयोजित वार्ता दौर में भाग लिया।
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बाली वार्ता दौर के दौरान हुई चर्चाओं में आईपीईएफ के सभी 4 स्तंभों : व्यापार ( स्तंभ i ), आपूर्ति श्रृंखलाओं ( स्तंभ ii ), स्वच्छ अर्थव्यवस्था ( स्तंभ iii ) और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था ( कराधान और भ्रष्टाचार विरोधी ) - ( स्तंभ iv ) को शामिल किया गया। भारत ने स्तंभ ii से iv से संबंधित चर्चाओं में भाग लिया।
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पिछले दौरों के दौरान हुई चर्चाओं के आधार पर : आईपीईएफ का पहला दौर ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में 10-15 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया और भारत के नई दिल्ली में 8-11 फरवरी, 2023 को विशेष वार्ता दौर आयोजित किया गया, बाली में आईपीईएफ के साझीदारों ने गहराई से मूल पाठ आधारित चर्चाएं आरंभ कीं और अनुवर्ती संवाद आयोजित किए क्योंकि वे एक खुले, जुड़े, समृद्ध और लचीले भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक साझा विजन को आगे बढ़ाने पर काम करना चाहते हैं।
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वार्ता के दौरान, भारत के मुख्य वार्ताकार ने भारत के विश्वास को दुहराया कि आईपीईएफ आर्थिक सहयोग को और गहरा बनाएगा तथा क्षेत्र में व्यापार एवं निवेश में वृद्धि करने के माध्यम से समावेशी विकास को बढ़ावा देगा।
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बातचीत के दौरान, मुख्य वार्ताकार और स्तंभों के प्रमुखों ने आईपीईएफ देशों तथा अन्य संबंधित हितधारकों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।
अन्य व्यवसाय फोरम
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इच्छुक भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों ने क्रमशः 17 और 18 मार्च 2023 को आईपीईएफ बाली दौर के दौरान हितधारक सहयोग सत्रों तथा व्यवसाय फोरमों में भी भाग लिया।
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इसके अतिरिक्त, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( एनपीसीआई ) ने भी यूनिफायड पेमेंट इटरफेस ( यूपीआई ), जो भारत में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का एक सफल उदाहरण है, पर बिजनेस फोरम में विस्तृत प्रस्तुति दी।
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आईपीईएफ साझीदारों ने अपनी संबंधित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता और समृद्धि के लिए एक साझा विजन को आगे बढ़ाने के लिए ठोस लाभों को अर्जित करने के लक्ष्य के साथ पूरे 2023 में एक गतिशील वार्ता कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्धता की है।
भारत- प्रशांत आर्थिक संरचना (IPEF) क्या है?
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भारत- प्रशांत आर्थिक संरचना जिसे अंग्रेजी में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) नाम से जाना जाता है का गठन अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य साझेदार देशों ने 23 मई 2022 को टोक्यो में किया था।
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इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) वास्तव में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दिमाग की उपज है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सबसे पहले अक्टूबर 2021 में ईस्ट एशिया समिट में IPEF की बात कही थी। तब उन्होंने कहा था कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क के विकास की संभावनवाओं का पता लगाएगा।
उद्देश्य -
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इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भागीदार देशों के बीच आपसी सामंजस्य और आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करना है।
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IPEF क्वाड प्लस प्रारूप में आउटरीच को बढ़ावा देगा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत एवं पारदर्शी मानदंड के आधार पर क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग हेतु एक नया मंच प्रदान करेगा।
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वास्तव में इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क को भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के तेजी से बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए एक सामूहिक प्रयास कहा जा सकता है।
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IPEF का उद्देश्य इसमें शामिल देशों में सप्लाई चेन बनाकर चीनी सरकार को अलग करना और चीन से इन देशों की निर्भरता कम करना है।
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आसान भाषा में बोले तो IPEF एक ऐसा मंच मुहैया कराने की कोशिश कर रहा है जिसकी मदद से इसमें शामिल देश अपने व्यक्तिगत मांगों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बातचीत के लिए साथ आ सके।
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इस इनिशिएटिव के जरिए अमेरिका क्लीन एनर्जी, डिकार्बनाइजेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन में सुधार जैसे साझा हित के मुद्दों पर एशिया के देशों के साथ पार्टनरशिप करेगा।
चार स्तंभ -
IPEF के चार स्तंभ हैं -
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निष्पक्ष और लचीला व्यापार
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आपूर्ति-शृंखला लचीलापन
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स्वच्छ ऊर्जा, डीकार्बोनाइजेशन और आधारभूत संरचना
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कराधान और भ्रष्टाचार विरोधी पहल
IPEF में कौन कौन से देश शामिल हैं?
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इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) में वर्तमान में 14 देश शामिल है। जिसके नाम हैं ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका।
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इसके 14 सदस्य देशों का वैश्विक जीडीपी में कुल 40 प्रतिशत का योगदान है।
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भारत को छोड़कर हिंद-प्रशांत आर्थिक प्रारूप के बाकी सभी 13 सदस्यों ने सहयोग के सभी चारों बिंदुओं का हिस्सा बनने पर सहमति जताई है।
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इनमें व्यापार के अलावा आपूर्ति शृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था के सहयोग बिंदु शामिल हैं।
Source - PIB
Nirman IAS Team
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