कैबिनेट ने 1.08 लाख करोड़ रुपये की खरीफ उर्वरक सब्सिडी को मंजूरी दी
18 May, 2023
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्तमान खरीफ या मानसून के मौसम के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी को मंजूरी दी है।
उर्वरक की खपत और सब्सिडी
1. देश में यूरिया की कुल खपत लगभग 325 से 350 लाख मीट्रिक टन है।
2. प्रति हेक्टेयर भूमि पर उर्वरक सब्सिडी लगभग ₹8,909 है, और प्रत्येक किसान को ₹21,223 की सब्सिडी प्राप्त होती है
भारत में उर्वरक सब्सिडी
§ एक अवधारणा के रूप में सब्सिडी की उत्पत्ति 1970-80 के दशक की हरित क्रांति के दौरान हुई।
§ सब्सिडी की दर पिछले छह महीनों में आयातित उर्वरक की औसत कीमत पर आधारित है।
सब्सिडी का भुगतान कैसे किया जाता है और इसे कौन प्राप्त करता है?
§ सब्सिडी उर्वरक कंपनियों को जाती है, हालांकि इसका अंतिम लाभार्थी वह किसान होता है जो बाजार द्वारा निर्धारित दरों से कम MRP का भुगतान करता है।
§ मार्च 2018 से, एक नया तथाकथित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली शुरू की गई, जिसमें कंपनियों को सब्सिडी का भुगतान खुदरा विक्रेताओं द्वारा किसानों को वास्तविक बिक्री के बाद ही किया जाएगा।
§ DBT प्रणाली के तहत, प्रत्येक खुदरा विक्रेता के पास अब उर्वरक विभाग के ई-उर्वरक डीबीटी पोर्टल से जुड़ी एक पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन है।
गैर-यूरिया उर्वरकों की स्थिति
§ गैर-यूरिया उर्वरको का मूल्य उर्वरक कंपनियों द्वारा निर्धारित किया जाता है।
§ गैर-यूरिया उर्वरकों को आगे दो भागों में बांटा गया है, DAP (डायअमोनियम फॉस्फेट) और MOP (म्यूरेट ऑफ फॉस्फेट)।
§ सरकार मिट्टी की पोषकता को बनाए रखने के लिए प्रति टन सब्सिडी का भुगतान करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि अन्य उर्वरक भी उपयोग करने के लिए किफायती हों।
ऐसी सब्सिडी के दुष्प्रभाव
a) राजकोष पर बोझ
b) कम नाइट्रोजन उपयोग दक्षता: भारतीय मिट्टी में कम नाइट्रोजन उपयोग दक्षता है।
c) भूजल प्रदूषण
d) आवश्यकता से अधिक उपयोग: मिट्टी में यूरिया का बड़ा हिस्सा NH3 (अमोनिया) और नाइट्रोजन ऑक्साइड के रूप में नष्ट हो जाता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान द्वारा इस संबंध में डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन किया गया है।
e) स्वास्थ्य के लिए खतरा: नाइट्रेट से दूषित जल पीने से मनुष्यों में ब्लू बेबी सिंड्रोम बीमारी होती हैं।
Nirman IAS Team
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