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कृषि और बागवानी पर राष्ट्रीय सम्मेलन

14 Jul, 2022

चर्चा में क्यों ?

आगामी 14-15 जुलाई, 2022 को कर्नाटक में राज्य कृषि और बागवानी मंत्रियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु :-

  • आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा श्री नरेंद्र सिंह तोमर, माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री; सुश्री शोभा करंदलाजे माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री; श्री कैलाश चौधरी, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री और राज्यों के माननीय कृषि और बागवानी मंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में राज्य के कृषि और बागवानी मंत्रियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 14-15 जुलाई, 2022 को बेंगलुरु, कर्नाटक में आयोजित कर रहा है।
  • सम्मेलन के दौरान नौ विषयगत क्षेत्रों; डिजिटल कृषि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्राकृतिक खेती, एफपीओ, ई-नाम, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, कृषि अवसंरचना कोष, ICAR की नई तकनीक पर ध्यान केंद्रित करते हुए तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे।
  • सम्मेलन के दौरान देश भर के विभिन्न राज्यों में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में अपनाई गई सर्वोत्तम पद्धतियों पर एक अलग सत्र को तकनीकी सत्र के साथ जोड़ा जाएगा।
  • माननीय केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री द्वारा इस सम्मेलन के प्रमुख हस्तक्षेपों में से एक, प्लेटफॉर्म्‍स के ई-नाम प्लेटफॉर्म का शुभारंभ होगा ताकि किसानों को कृषि उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त करने के लिए कृषि उत्पादों के व्यापार और विपणन को बढ़ावा दिया जा सके।
  • भारत सरकार ने कृषि उत्पाद विपणन में अगले स्तर की क्रांति लाने के लिए "ई-नाम के तहत प्लेटफॉर्म्‍स के प्लेटफॉर्म (पीओपी)" के माध्यम से सभी हितधारकों की भागीदारी के लिए एक नई पहल की है जिससे भारतीय किसानों को उनके राज्य की सीमाओं से बाहर अपनी उपज बेचने की सुविधा मिलेगी।
  • इससे कई बाजारों, खरीदारों, सेवा प्रदाताओं तक किसानों की डिजिटल रूप से पहुंच बढ़ेगी और मूल्य खोज तंत्र में सुधार तथा किसानों के लिए उत्‍पाद की मूल प्रति के अभिप्रेत व्‍यापार अंतरण में पारदर्शिता आएगी। पीओपी के रूप में ई-नाम एक कुशल और प्रभावी "वन नेशन वन मार्केट" इकोसिस्टम बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • यह सम्मेलन 'आजादी का अमृत महोत्सव' के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है जो एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में अगला कदम है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बारे में –

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है।
  • रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट के अनुसरण में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत इसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को की गयी थी।
  • इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। इस सोसाइटी का पहले नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च था।
  • इसका उद्देश्य कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों को प्रोत्साहन करना और उनके बारे में शिक्षित करना है |
  • परिषद प्रत्यक्ष तौर पर कृषि क्षेत्र में संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन फसलों, पशुओं व मछली एवं संबंधित क्षेत्रों आदि से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए पारंपरिक व सीमांत क्षेत्र में अनुसंधान की गतिविधियों में शामिल है | यह कृषि क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
  • यह परिषद देश में बागवानी, मात्स्यिकी और पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन और अनुसंधान प्रबंधन तथा शिक्षा के लिये एक सर्वोच्च निकाय है।
  • इसके अंतर्गत 103 ICAR के संस्थान तथा 73 कृषि विश्वविद्यालय संपूर्ण देश में फैले हुए हैं और इस प्रकार यह विश्व की वृहत राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है। 
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में हरित क्रांति लाने तत्पश्चात अपने अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास से देश के कृषि क्षेत्र के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है। जिससे 1951 से 2014 तक देश खाद्यान्न उत्पादन में 5 गुना, बागवानी फसलों में 9.5 गुना, मात्स्यिकी के क्षेत्र में 12.5  गुना , दूध उत्पादन में 7.8 गुना तथा अंडा उत्पादन में 39 गुना वृद्धि करने में समर्थ हुआ है और  इस प्रकार राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषणिक सुरक्षा में इसका एक स्पष्‍ट प्रभाव परिलक्षित होता है।
  • परिषद ने कृषि में उच्च शिक्षा में उत्कृष्‍टता को प्रोन्नत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के नवोन्मेषी क्षेत्रों में कार्य करने में परिषद संलग्न रही है और इसके वैज्ञानिक अपने विषयों में अंतरराष्ट्रीय तौर पर जाने जाते हैं।

Source - PIB

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author