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दलहन-तिलहन में भी ‘लैब टू लैंड' योजना का प्रभाव

26 Apr, 2022

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में आई खाद्यान्न में सरप्लस पैदावार की खबर के बाद दलहन और तिलहन की उन्नत खेती में भी लैब टू लैंड योजना का प्रभाव दिखने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

मुख्य बिंदु:-

  • ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में खाद्य तेलों की महंगाई का प्रभाव घरेलू बाजार पर पड़ना तय है। इसी के मद्देजनर खाद्य तेलों और दलहन की आयात निर्भरता को घटाने के लिए इन फसलों की घरेलू खेती में इस योजना की भूमिका बढ़ गई है।
  • कृषि विज्ञानियों की शानदार उपलब्धियों को खेतों तक पहुंचाने वाली इस योजना पर कारगर अमल पिछले कुछ सालों में हुआ। नतीजा यह हुआ कि दलहनी फसलों की पैदावार 1.63 करोड़ टन से बढ़कर 2.7 करोड़ टन तक पहुंच गई है। जबकि तिलहनी फसलों की पैदावार ढाई करोड़ टन से बढ़कर पौने चार करोड़ टन पहुंच गई है।

कृषि विज्ञान केंद्रों को सशक्त बनाया गया

  • विज्ञानियों की उपलब्धियों को खेतों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जिलों में स्थापित अपने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को माध्यम बनाया। जिला स्तर पर स्थापित इन केंद्रों में विभिन्न दलहनी व तिलहनी फसलों की अत्यधिक उत्पादकता वाली फसलों की उन्नत खेती का प्रदर्शन किया जाता है।

कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने वाला फंड

  • 2014 में सत्ता में आने के साथ ही मोदी सरकार ने सबसे पहले केवीके को सशक्त बनाया। अब यही केंद्र जिलास्तर पर लैब टू लैंड योजना को लागू करने में बेहतर भूमिका निभा रहे हैं। कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने वाला एक लाख करोड़ का एग्री इन्फ्रा फंड काफी कारगर साबित हो रहा है।

वैज्ञानिक ज्ञान किसानों तक

  • खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने को सरकार ने फिर चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 11,000 करोड़ की लागत से तिलहन मिशन की शरुआत की है। इसके तहत विज्ञानियों की सहभागिता के साथ नीतिगत समर्थन तिलहन मिशन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
  • प्रयोगशालाओं में तैयार टेक्नोलाजी व तैयार उन्नत बीजों को किसानों के खेतों तक पहुंचाने वाली प्रसार प्रणाली राज्यों में ध्वस्त हो चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार केवीके के सहारे वैज्ञानिक ज्ञान किसानों तक पहुंचा रही है।
  • कृषि विवि और अनुसंधान संस्थानों के युवा विज्ञानियों को छह महीने तक गावों में किसानों के साथ रहने की शर्त भी जोड़ी जा रही है, वे किसानों को उनके खेत पर विज्ञान आधारित खेती करके दिखाएंगे।

उन्नत बीजों को किसानों के खेतों तक पहुंचाने की पहल

  • राज्यों की कृषि प्रसार प्रणाली के ध्वस्त होने का नतीजा यह हुआ कि केंद्र की योजनाओं को जमीन पर पहुंचाना मुश्किल हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि कृषि अनुसंधान संस्थानों में विकसित उन्नत बीज दूसरे रास्ते से विलायती खेतों तक पहुंच गए।
  • इसका पता तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान आयात होने वाली दालों की जांच में हुआ। उपज की फाइटो सैनिटरी जांच में इस तरह के कई मामले उस समय सामने आए थे।
  • केंद्र में राजग सरकार के गठन के साथ ही कृषि व वाणिज्य मंत्रालय ने इस पर सख्त पाबंदी लगाई और उन्नत बीजों को किसानों के खेतों तक पहुंचाने की पहल की।
  • उन्नत प्रजाति के बीजों की आपूर्ति के लिए केंद्र हर साल किसानों को मुफ्त मिनी किट बांटती है। इसके लिए जलवायु आधारित चिह्नित गांवों को दलहन गांव घोषित किया गया है।

Source: Hindusthan Times

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author