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‘मिलेट लंचन’

24 Nov, 2022

चर्चा में क्यों ?

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय द्वारा भारत के उच्चायुक्तों/राजदूतों के लिये विशेष ‘मिलेट लंचन’ की संयुक्त मेजबानी की जा रही है

मुख्य बिंदु :-

  • भारत में ‘इंटरनेशन इयर ऑफ मिलेट्स 2023’ (अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष - आईवाईओएम) विषय पर वर्ष भर चलने वाले भव्य समारोह के आरंभ होने के पहले कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा विदेश मंत्रालय विभिन्न देशों में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्तों व राजदूतों के लिये नई दिल्ली में एक विशेष ‘मिलेट लंचन’ (मोटे अनाज से बने व्यंजनों का दोपहर का भोज) की मेजबानी कर रहे हैं।
  • उल्लेखनीय है कि मोटे अनाजों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने, उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने तथा मोटे अनाज की खपत में बढ़ोतरी करने के लिये कदन्न मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने की दिशा में संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने भारत के प्रस्ताव को मंजूर करते हुये वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष घोषित किया था।
  • आईवाईओएम 2023 को मनाये जाने के क्रम में भारत नेतृत्व कर रहा है। इस कार्य को जन आंदोलन का रूप देकर प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप भव्य रूप में पूरा किया जा रहा है।
  • आशा की जाती है कि 60 से अधिक देशों में नियुक्त भारत के उच्चायुक्त/राजदूत आयोजित होने वाले राजकीय मध्याह्न भोज में सम्मिलित होंगे।
  • मध्याह्न भोज के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारतीय मोटे अनाजों के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा आईवाईओएम 2023 के सफल व प्रभावी वैश्विक आयोजन के लिये अन्य देशों को संलग्न करना है।

कार्यक्रम के बारे में

  • कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आईवाईओएम 2023 की सफलता के लिये परिकल्पना को साझा करेंगे।
  • उपभोक्ताओं, किसानों और धरती माता पर मोटे अनाजों का क्या चामत्कारिक प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में एक वीडियो आरंभ में प्रस्तुत किया जायेगा, ताकि प्रतिनिधियों को‘सुपर ग्रेन’ की विजुअल यात्रा नजर आये।
  • दोपहर के भोज में मोटे अनाज से बने विभिन्न व्यंजन होंगे, जिनसे भारत के मोटे अनाजों और मोटे अनाज की पाक कला का परिचय मिलेगा।
  • मोटे अनाज के व्यंजनों का अनुभव लेने के साथ-साथ मोटे अनाज से जुड़े लगभग 30 भारतीय स्टार्ट-अप के साथ बातचीत भी होगी।
  • ये सभी प्रदर्शनी में हिस्सा लेंगे और अपने विभिन्न खाद्य उत्पादों को पेश करेंगे, जिनमें उन भोजन को भी शामिल किया जायेगा जो सीधे पकाये जा सकते हैं और खाये जा सकते हैं।

मोटे अनाज का प्रचार

  • भारत सरकार द्वारा समारोह आरंभ होने के पहले के कार्यक्रम को बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है।
  • इसके लिये योजना बनाई गई है कि अपेडा और विदेश मंत्रालय के जरिये कुल 23 अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम किये जायें।
  • अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बी2बी, बी2जी और जी2जी संवाद सहित बहु-हितधारक सहयोग को प्रोत्साहन दिया जायेगा तथा कदन्न आधारित मूल्य संवर्धित उत्पादों को दर्शाया जायेगा।
  • भारतीय समुदाय, भारतीय राजदूतावास, शेफ, मीडिया और आम जनता मोटे अनाजों तथा आईवाईओएम 2023 को प्रोत्साहित करने में प्रमुख भूमिका निभायेंगे।

क्या होता है मोटा अनाज?

  • मोटा अनाज छोटे दानेदार अनाज खाद्य फसलों का समूह है जो सूखे और अन्य चरम मौसम की स्थितियों के प्रति अत्यधिक सहिष्णु हैं और उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे कम रासायनिक आदानों के साथ उगाए जाते हैं।
  • इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, जौ, कोदो, सामा, सवाना, छोटे अनाज या कुटकी, कांगनी और चीना  जैसे अनाज शामिल हैं।
  • इसे मोटा अनाज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके उत्पादन में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं।
  • धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की खपत बहुत कम होती है। चूँकि इसकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत भी नहीं पड़ती इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।
  • मोटे अनाज के पोषण मूल्य को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अप्रैल, 2018 में बाजरे को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया था।
  • बाजरा प्रोटीन, फाइबर, खनिज, लोहा, कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है। मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया है।
  • सरकार की पहल के कारण बाजरे का उत्पादन 2015-16 में 1.452 करोड़ टन से बढ़कर 2020-21 में 1.796 करोड़ टन हो गया और इसी अवधि के दौरान बाजरे का उत्पादन भी 80.7 लाख टन से बढ़कर 1.086 करोड़ टन हो गया।

Source - PIB

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author