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नैनो तरल यूरिया संयंत्र

31 May, 2022

चर्चा में क्यों ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 28 मई, 2022 को गुजरात में विश्व के पहले नैनो तरल यूरिया संयंत्र का लोकार्पण किया गया।   

मुख्य बिंदु :-

  • इस दौरान PM मोदी गुजरात में राजकोट के पास एटकोट में नवनिर्मित मातुश्री के.डी.पी.मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन करेंगे। यह अस्पताल उच्च स्तरीय चिकित्सा उपकरण से युक्‍त है और इससे सौराष्ट्र क्षेत्र के लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्‍ध होंगी।
  • इसके साथ ही पीएम मोदी कलोल, गाँधी नगर में में 175 करोड़ की लागत से बने इफको नैनो यूरिया (तरल) प्लांट (IFFCO Nano Liquid Urea) का उद्घाटन भी करेंगे।
  • उल्लेखनीय है की भारत,नैनो यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
  • प्राप्त जानकारी के आनुसार तरल नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों को आर्थिक बचत होगी, उत्पादकता बढ़ेगी और यूरिया आयात पर भारत की निर्भरता में भी कमी आएगी। इससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी कम होगा और सरकार इस बचत का इस्तेमाल अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए कर सकेगी।
  • इफको ने अपने परिक्षण अध्ययन में पाया है कि ड्रोन के द्वारा तरल नैनो यूरिया का छिड़काव किए जाने से फसलों पर यह अधिक प्रभावी है और उत्पादकता पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

नैनो यूरिया के बारे में –

  • नैनो यूरिया नैनो तकनीकी पर आधारित एक अनूठा उर्वरक है जो कि विश्व में पहली बार विकसित किया गया है तथा भारत सरकार द्वारा अनुमोदित भी है।
  • फसल की क्रांति का अवस्थाओं पर नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की सफलतापूर्वक आपूर्ति हो जाती है, जिससे उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है,
  • क्योंकि इसका इस्तेमाल पत्तियों पर छिड़काव के रूप में होता है और यह सामान्य दानेदार यूरिया की तरह जमीन में जाकर मिट्टी को भी दूषित नहीं करता है।
  • नैनो यूरिया लिक्विड को गुजरात के कलोल में इफ्को के नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में स्वदेशी तकनीक विकसित किया गया है।
  • नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को कम से कम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
लाभ -
  • यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है।
  • सुरक्षित एवं पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ खेती हेतु उपयोगी है।
  • बिना उपज प्रभावित किए यूरिया तथा अन्य नाइट्रोजन युक्त यूरिया की बचत करता है।
  • वातावरण प्रदूषण की समस्या से मुक्ति यानि मिट्टी हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार के साथ उर्वरक उपयोग दक्षता भी इसकी अधिक है।
  • उत्पादन वृद्धि के साथ उत्पादक गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • परिवहन एवं भंडारण खर्चों में कमी एवं सुगम परिवहन किया जा सकता है।

Source - PIB

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author