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नीति आयोग की गौशाला अर्थव्यस्था

29 Apr, 2022

चर्चा में क्यों?

  • नीति आयोग गाय के गोबर के व्यावसायिक इस्तेमाल और किसानों के लिए बोझ बनने वाले छुट्टा पशुओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए एक कार्ययोजना पर काम कर रहा है।

मुख्य बिंदु:-

  • नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के अनुसार आयोग गौशाला अर्थव्यवस्था में सुधार का इच्छुक हैं। इस हेतु आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल आफ एप्लाइड इकोनमिक रिसर्च (एनसीएईआर) को गौशाला अर्थव्यस्था पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है, ताकि उसका व्यावसायिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
  • आयोग सिर्फ यह नहीं देख रहा है कि गौशाला अर्थव्यवस्था में सुधार की क्या संभावनाएं हैं बल्कि वह इस संभावना को भी देख रहा है कि क्या गौशाला से प्राप्त होने वाले सह उत्पादों अर्थात गोबर से कुछ आमदनी हासिल कर सकते हैं या इसका मूल्यवर्धन कर सकते या नही।
  • हाल ही में नीति आयोग के एक सदस्य के नेतृत्व में सरकारी अधिकारियों की एक टीम ने वृंदावन (उत्तर प्रदेश), राजस्थान और भारत के अन्य हिस्सों में बड़ी गौशालाओं का दौरा किया और उनकी स्थिति का आकलन किया।
  • इस दल के अनुसार शायद 10 प्रतिशत या 15 प्रतिशत गाएं थोड़ी मात्रा में दूध देती हैं। लेकिन यह श्रम, चारा और उपचार की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

गाय के गोबर से बायो-सीएनजी

  • ऐसी स्थिति में गाय के गोबर का इस्तेमाल बायो-सीएनजी बनाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए आयोग इस तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। गोबर से बायो-सीएनजी के उत्पादन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के बजाय इसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करेंगे, जो लाभ भी देगा।
  • अवांछित मवेशियों को खुले में छोड़ना भी फसलों के लिए हानिकारक है। इसलिए गौशाला अर्थव्यवस्था पर काम किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार, भारत में वर्ष 2019 में 19.25 करोड़ मवेशी और 10.99 करोड़ भैंसें थीं, जिससे कुल गोजातीय आबादी 30.23 करोड़ हो गई है।

प्रधानमंत्री का आश्वासन

  • उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय अपने मालिकों द्वारा छोड़ दिए गए पशुओं की समस्या चर्चा का विषय रही थी। विपक्षी दलों की ओर से इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में छुट्टा पशुओं की समस्या को दूर करने का भरोसा दिया था।
  • उन्होंने अपनी जनसभाओं में कहा था कि 10 मार्च को दोबारा सरकार बनने पर इस संकट को दूर किया जाएगा। ऐसा इंतजाम किया जाएगा, जिसके तहत गोबर से भी पशुपालकों की कमाई हो। इसी क्रम में पूरे उत्तर प्रदेश में बायोगैस प्लांट का नेटवर्क भी बनाया जा रहा है।

Source: pib

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author