पाम ऑयल की खेती
02 Feb, 2023
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में नागालैंड सरकार और पतंजलि फूड्स लिमिटेड ने पाम ऑयल की खेती और प्रसंस्करण के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए
मुख्य बिंदु :-
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नागालैंड सरकार और पतंजलि फूड्स लिमिटेड ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल-पाम के अंतर्गत नागालैंड में पाम ऑयल की खेती और प्रसंस्करण के लिए एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
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इस आशय पत्र पर नागालैंड के कृषि निदेशक एम. बेन यान्थान और पतंजलि फूड लिमिटेड पूर्वोत्तर क्षेत्र के पॉम ऑयल प्रमुख सुभाष भट्टाचार्जी ने कल कोहिमा में कृषि निदेशालय में हस्ताक्षर किए।
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पतंजलि फूड्स लिमिटेड के अनुसार आशय पत्र पर हस्ताक्षर से नागालैंड में पॉम ऑयल उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा। पतंजलि फूड्स लिमिटेड पूर्वोत्तर में मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा में काम कर रहा है।
क्या है पाम ऑयल ?
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पाम ऑयल एक खाने का तेल है जो ताड़ के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है। इसका उपयोग सबसे ज्यादा होटल्स, रेस्तरां में बतौर खाद्य तेल किया जाता है।
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इसके अलावा नहाने के साबुन और टॉफी-चॉकलेट में भी किया जाता है।
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ताड़ का तेल अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया और ब्राजील के कुछ भागों की उष्णकटिबंधीय पट्टी में खाना पकाने का एक आम उपादान है। इसकी कम लागत और तलने में उपयोग के समय परिष्कृत उत्पाद की उच्च जारणकारी स्थिरता (संतृप्ति) दुनिया के अन्य भागों में व्यावसायिक भोजन उद्योग में इसके बढ़ते उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है।
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पाम तेल उत्पादन में इंडोनीशिया दुनिया में नंबर एक पर है और दूसरे नंबर पर मलेशिया का नंबर आता है। कुछ अफ्रीकी देशों में भी इसका उत्पादन होता है। खाने वाले तेलों के मामले में भारत के आयात का दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल का है।
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भारत सालाना करीब 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करता है। सरकार चाहती है कि भारत के किसान पाम ऑयल की खेती करें ताकि खाने के तेल का आयत न करना पड़े।
राष्ट्रीय खाद्य तेल-ऑयल पाम मिशन के बारे में –
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हाल ही अगस्त 2021 में प्रधानमंत्री ने पाँच वर्ष की अवधि में 11,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ ‘खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन’- ऑयल पाम (NMEO-OP) की घोषणा की थी ।
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NMEO-OP एक नई केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल के लिये अतिरिक्त 6.5 लाख हेक्टेयर का प्रस्ताव है।
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इसमें 2025-26 तक पाम ऑयल की खेती के क्षेत्र को 10 लाख हेक्टेयर और 2029-30 तक 16.7 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना शामिल होगा।
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इसके तहत पाम ऑयल किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी और उन्हें मूल्य एवं व्यवहार्यता सूत्र के तहत पारिश्रमिक मिलेगा। इसके साथ ही पुराने बागानों को उनके कायाकल्प के लिये विशेष सहायता दी जाएगी।
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इस प्रकार इस मिशन का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल का घरेलू उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 11 लाख मीट्रिक टन करना। और घरेलू खाद्य तेल की कीमतों का दोहन करना जो कि महँगे पाम ऑयल के आयात से तय होती हैं और खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनना।
भारत में पाम ऑयल का आयात -
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भारत विश्व में वनस्पति तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसमें से पाम ऑयल का आयात उसके कुल वनस्पति तेल आयात का लगभग 55% है।
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दुनियाभर में लगभग 8 करोड़ टन पाम ऑयल का उत्पादन हो रहा है। पूरी दुनिया में आयात होने वाले खाने के तेलों में इसकी हिस्सेदारी भी लगभग 40 फीसदी है।
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भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल, ब्राज़ील और अर्जेंटीना से सोया तेल तथा मुख्य रूप से रूस व यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात करता है,हालांकि जुलाई 2021 में पाम तेल का आयात घटकर 65,606 हो गया जो पिछले पांच महीने का सबसे निचला स्तर है।
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रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2016-17 और 2018-19 के बीच हर साल करीब अस्सी लाख मीट्रिक टन पाम ऑयल का आयात हुआ। बल्कि 2018 में भारत, पाम ऑयल का आयात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बना।
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खाद्य तेलों के आयात को कम करने के लिए ही केंद्र सरकार ने तिलहन और ताड़ की खेती पर काम करना शुरू किया और वर्ष 2014-15 में नेशनल मिशन आन ऑयल सीड्स एंड आयल पाम योजना की शुरुआत हुई जिसे वर्ष 2018-19 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के साथ जोड़ दिया गया था।
Source – All India Radio
Nirman IAS (Surjeet Singh)
Current Affairs Author