Daily News

रामगढ़ विषधारी बाघ संरक्षण अभयारण्य

23 May, 2022

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित रामगढ़ विषधारी अभ्यारण को देश का 52वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है।

मुख्य बिंदु :-

  • रामगढ़ विषधारी अभ्यारण देश का 52वां टाइगर रिजर्व होगा, हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसकी अधिसूचना जारी की। यह अभयारण्य 1,071 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यह राजस्थान का चौथा  टाइगर रिजर्व है।
  • उल्लेखनीय है की केंद्रीय वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 3 जुलाई 2021 को राजस्थान में चौथे बाघ अभयारण्य के तौर पर रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को अपनी मंजूरी दी थी। इस हेतु राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की तकनीकी समिति ने रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व में बदलने का प्रस्ताव भेजा था।
  • रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 39, 920 हेक्टेयर और बफर जोन 74, 091 हेक्टेयर का होगा। इस अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, भेडिया, भालू, सुनहरा सियार, चिंकारा, नील गाय, लोमड़ी, धारीदार लकडबग्गा जैसे कई जंगली जानवर मौजदू हैं।
  • बूंदी जिले का यह रामगढ़ विषधारी अभयारण्य, पूर्वोत्तर में सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर टाइगर रिजर्व और दक्षिणी तरफ कोटा जिले के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को जोड़ेगा।
  • उल्लेखनीय है की इससे कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में पर्यटन को नई पहचान मिलेगी। साथ ही आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढेंगे।
  • इसके साथ ही वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार विषधारी टाइगर रिजर्व में कई किश्म के फूल हैं। यह अनुसंधान और शिक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। साथ ही यहां के भीमलत, रामगढ़ महल जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पर्यावरण पर्यटन स्थल को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।  

अभयारण्य के बारे में –

  • रामगढ़ विषधारी अभयारण्य राज्य के बूंदी जिले में 304 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत एक जलपूर्ण वन क्षेत्र है। राज्य ने इसे 20 मई 1982 को राजस्थान वन्य प्राणी और पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 की धारा 5 के अंतर्गत अभयारण्य घोषित किया।
  • रामगढ़, रणथंभोर टाइगर रिजर्व के दक्षिण कि ओर एक पहाड़ों से घिरा वन क्षेत्र है जो कि मेज नदी द्वारा दो असमान भागों में विभाजित होता है।
  • मेज नदी इस वन क्षेत्र के कई जलश्रोत को जलपूर्ण कर इस वन क्षेत्र कि जीवन रेखा के रूप में काम करती है। रणथंभोर से जुड़ा होने के कारण यह बफर ज़ोन का भी काम करता है जिसकी वजह से रणथंभोर से निकले हुए बाघ अक्सर यहाँ पहुँच जाते है।
  • बाघ के अलावा यहाँ मांसाहारी जीवों में बघेरा, भेड़िया, लकड़बग्धा, सियार, लोमड़ी, सियागोश, रस्टी स्पॉटेड कैट, और जंगल कैट आदि पाए जाते हैं। शाकाहारी जीवों में हनुमान लंगूर, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, और खरगोश अच्छी संख्या में हैं और सभी मौसमों में आसानी से देखे जा सकते हैं। सर्वाहारी स्थानपाई जीवों में यहाँ भालू, जंगली सूअर, और इंडियन सॅमाल सिविट पाए जाते हैं। यहाँ नेवले की दो प्रजातियाँ इंडियन ग्रे मोंगूस एवं रडी मोंगूस, चींटीखोर, और साही भी पाए जाते हैं।
  • अभयारण्य में स्थितः रामगढ़ गाँव कई प्रजातियों के सांपों के लिए जाना जाता है, संभवतः इसी कारण इसको विषधारी अभयारण्य कहा जाता है। है। यहाँ पक्षियों की भी काफी विविधता मौजूद हैं जिनमें कई प्रकार के शिकारी पक्षी जैसे भारतीय गिद्ध, बोनेलीज़ ईगल,आदि, विभिन्न प्रजातियों के पैराकीट, ओरिएण्टल व्हाइट आई, गोल्डन ओरिओल, पर्पल सनबर्ड, हरियल, पपीहा, नवरंग, कोयल, येलो थ्रोटेड स्पैरो, सरकीर मालकोहा, बुलबुल, फ्लाई कैचर्स इत्यादि शामिल हैं।

राजस्थान में चार टाइगर रिजर्व -

  • सवाई माधोपुर में रणथंभौर टाइगर रिजर्व
  • अलवर में सरिस्का टाइगर रिजर्व
  • कोटा में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
  • बूंदी में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व

Source – All India Radio

 

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author