Daily News

कृषि क्षेत्र में सुधार के सीमित विकल्प

08 Jan, 2022

चर्चा में क्यों?

  • हाल में हुए घटनाक्रम के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि कृषि क्षेत्र में सुधार का रास्ता फिलहाल बंद हो चुका है। जिससे इसमें निजी निवेश का रास्ता खोलने के प्रयास को धक्का लगा है।
  • दूसरी ओर कृषि, फर्टिलाइजर व खाद्य सब्सिडी का बढ़ता बोझ आम बजट की सेहत को बिगाड़ सकता है। अर्थात इस क्षेत्र की सरकारी खजाने पर निर्भरता और बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

मुख्य बिंदु

  • अतः सरकार का मानना है कि किसानों की दशा और दिशा पर इसका असर न डालते हुए उनकी हर समस्या को आसान करने की दिशा में और कदम बढाया जायेगा। इसका तरीका थोड़ा बदल सकता है।
  • इस दिशा में प्रयास करते हुए सब्सिडी का रूप बदल सकता है और परंपरागत खेती की जगह मांग आधारित कृषि को प्रोत्साहित करने हेतु विविधीकरण की नई योजना लाई जा सकती है।
  • इसके साथ ही फसलों का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने वाली राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के साथ दलहन व तिलहन की खेती के लिए चलाए जा रहे मिशन को भी आगे बढ़ाया जा सकता है।
  • कृषि और खाद्य क्षेत्र में दी जा रही सब्सिडी को खत्म करना सरकार के लिए बिल्कुल आसान नहीं है, लेकिन वर्ष 2023 में डब्ल्यूटीओ के प्रावधानों के तहत सब्सिडी के तौर-तरीकों में सुधार करने होंगे।
  • इसे ध्यान में रखते हुए यह माना जा रहा है कि इससे कृषि मंत्रालय के अन्य प्रमुख मदों के बजट में कटौती की जा सकती है। क्योंकि राजनीतिक वजह से पीएम-किसान निधि पर खर्च होने वाले 80 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान आम बजट में करना ही होगा।
  • इसके साथ ही एमएसपी पर हो रही सरकारी खरीद के लिए करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान भी करना होगा। इसी तरह कुल 6.2 करोड़ टन अनाज राशन प्रणाली के तहत अति रियायती दरों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी का बंदोबस्त करना होगा।

आधुनिक तकनीक के भरोसे ही बढ़ाया जा सकता है उत्पादन

  • सीमित प्राकृतिक संसाधनों के दम पर डेढ़ अरब की आबादी का पेट भरना आसान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में यह केवल तभी संभव है, जब घरेलू किसानों को आधुनिक तकनीक मुहैया कराई जाए।

  • अब जबकि वैश्विक स्तर पर बायो टेक्नोलाजी के सहारे सीड-टेक्नोलाजी अपने चरम पर है, जो बिना कीटनाशक और न्यूनतम फर्टिलाइजर से अधिकतम पैदावार दे रही है, तब भी भारत में इसकी अनुमति न मिलना चिंतित करता है।

कृषि सेक्टर की रफ्तार में इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों की महती भूमिका

  • कृषि सेक्टर में परंपरागत कृषि की विकास दर किसी भी दशा में एक से डेढ़ प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ पा रही है। इसलिए उसे गति प्रदान करने हेतु कृषि से संबद्ध अन्य क्षेत्रों की भूमिका को बढ़ाना जरुरी है।
  • हाल के समय में पशुधन विकास, डेयरी, पोल्ट्री, मस्त्य और बागवानी जैसे जैसे क्षेत्र ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इससे जहां लोगों को रोजगार के साधन प्राप्त हुए हैं वहीं किसानों की आमदनी बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका उभर रही है।

फसलों के विविधीकरण को मिलेगा बल

  • भारत में परंपरागत खाद्यान्न वाली फसलों के 30 करोड़ टन के मुकाबले अकेले बागवानी फसलों की उपज 35 करोड़ टन पहुंच गई है।
  • इस क्षेत्र को बढ़ावा देने से फसलों के विविधीकरण को बल मिलेगा। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में कुशल मानव संसाधनों की जरूरत के लिए शिक्षा व अनुसंधान विकास और प्रसार की भी महती आवश्यकता है।

Source – THE HINDU

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author