Sagar Parikrama Phase-IV

Daily News

सागर परिक्रमा चरण- IV

20 Mar, 2023

चर्चा में क्यों ?

कर्नाटक में सागर परिक्रमा का चौथा चरण आयोजित की जा रहा है यह यात्रा 18 मार्च 2023 को उत्तर कन्नड़ तथा 19 मार्च 2023 को उडुपी और उसके बाद दक्षिण कन्नड़ को कवर करेगी।

मुख्य बिंदु :-

  • इस आयोजन में प्रगतिशील मछुआरों, विशेषकर तटीय मछुआरों तथा मछली किसानों, युवा मछली उद्यमी आदि को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, केसीसी तथा राज्य योजना से संबंधित प्रमाण पत्र, मंजूरी पत्र प्रदान किए जाएंगे।
  • पीएमएमएसवाई योजना, राज्य योजनाओं, ई-श्रम, एफआईडीएफ, केसीसी आदि पर साहित्य का व्यापक प्रचार प्रसार के लिए मछुआरों के बीच जिंगल प्रस्तुत करके प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वीडियो, डिजिटल अभियान के माध्यम से लोकप्रिय बनाया जाएगा। कन्नड़ में सागर परिक्रमा पर एक गीत भी लॉन्च किया जाएगा।
  • सागर परिक्रमा से सरकार को देश में तटीय समुदाय के लोगों, विशेषकर समुद्री मछुआरों के जीवन में गुणवत्ता लाने तथा आर्थिक कल्याण में सुधार के लिए बेहतर नीति तैयार करने में मदद मिलेगी।
  • सागर परिक्रमा यात्रा राष्ट्रीय की खाद्य सुरक्षा तथा तटीय मछुआरा समुदाय की आजीविका के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग और समुद्री इको-सिस्टम की सुरक्षा के बीच स्थायी संतुलन, मछुआरा समुदायों के बीच के अंतर को पाटने, मछली पकड़ने वाले गांव का विकास, मछली पकड़ने के बंदरगाहों तथा मछली लैंडिंग केंद्रों जैसी अवसरंचना के उन्नयन और निर्माण पर केंद्रित होगी, ताकि एक इको-सिस्टम दृष्टिकोण से सतत और उत्तरदायी विकास सुनिश्चित किया जा सके।

सागर परिक्रमा के बारे में

  • सागर परिक्रमा एक विकासवादी यात्रा है जिसकी परिकल्पना तटीय पट्टी में समुद्र में की गई है। जो हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों का अभिवादन करते हुए 75वां आजादी का अमृत महोत्सव की भावना के रूप में सभी मछुआरों, मछली किसानों तथा संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करती है।
  • भारत सरकार की इस पहल का उद्देश्य मछुआरों तथा अन्य हितधारकों की समस्याओं का हल करना और पीएमएमएसवाई, एफआईडीएफ तथा मछली पालन के लिए केसीसी जैसी भारत सरकार द्वारा लागू की जा रही विभिन्न योजना और कार्यक्रमों के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान में मदद करना है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन और आर्थिक खुशहाली की गुणवत्ता बढ़ाने तथा आजीविका के अधिक अवसर सृजित करने के लिए भारत सरकार द्वारा एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जा गया है ताकि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त किया जा सके। ऐसे कार्यक्रम में एक है सागर परिक्रमा।
  • यह परिक्रमा गुजरात, दीव और दमन से प्रारंभ हुई और महाराष्ट्र में अपनी यात्रा पूरी कर चुकी है। शेष राज्य हैं गोवा, कनार्टक, केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार तथा लक्षदीव समूह है।
  • यात्रा का उद्देश्य इन राज्यों के मछली पालकों, मछुआरा समुदाय और हितधारकों से बातचीत करके तटीय मछुआरा समुदाय की समस्याओं को जानना है।

अन्य चरण

  • सागर परिक्रमा का चरण I ‘क्रांति से शांति’ विषय के साथ 5 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात (श्यामजी कृष्ण वर्मा का स्मारक) से प्रारंभ होकर ओखा-द्वारका गया और तीन स्थानों को कवर करते हुए 6 मार्च 2022 को पोरबंदर में पूरा हुआ। कार्यक्रम को भारी सफलता मिली।
  • इसमें 5,000 से अधिक लोग उपस्थित हुए और लगभग 10,000 हजार लोग यू-ट्यूब और फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव कार्यक्रम में शामिल हुए।
  • चरण II कार्यक्रम 23 से 25 सितंबर 2022 तक चला। इसमें सात स्थान- मंगरोल, वेरावल, दीव, जाफराबाद, सूरत, दमन तथा वलसाड़ कवर किए गए और तटीय समुदाय की समस्याओं को जानने के लिए मछुआरों से बातचीत की गई।
  • सागर परिक्रमा पर गुजराती भाषा में एक गीत लॉन्च किया गया। आयोजन में 20 हजार से अधिक लोग उपस्थित हुए और यू-ट्यूब, फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीम किया गया जिसे 15 हजार लोगों ने देखा।
  • सागर परिक्रमा का तीसरा चरण 19 फरवरी 2023 को सूरत-हजीरा बंदरगाह, गुजरात से प्रारंभ हुआ और उत्तरी महाराष्ट्र के तटीय इलाकों के 5 स्थानों सतपती (जिला पालघर), वसई, वर्सोवा, न्यू फेरी वार्फ (भाउचा-धक्का) तथा सासून गोदी और मुंबई के अन्य क्षेत्रों में 20-21 फरवरी 2023 तक चला।
  • कार्यक्रम बहुत सफल हुआ और इसमें 13500 से अधिक लोग उपस्थित हुए। कार्यक्रम को यू-ट्यूब, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीम किया गया और लगभग 10,000 लोगों ने इसे देखा।
  • परिक्रमा के तीन चरणों के दौरान गुजरात, महाराष्ट्र तथा केंद्रशासित दीव और दमन के 15 स्थान कवर किए गए।

सागरीय संपदा

  • पृथ्वी पर मानव अस्तित्व और जीवन के लिए स्वस्थ महासागर और समुद्र आवश्यक हैं। ये ग्रह का 70 प्रतिशत कवर करते हैं और खाद्य पदार्थ, ऊर्जा और जल प्रदान करते हैं।
  • वे आजीविका, जलवायु परिवर्तन, वाणिज्य तथा सुरक्षा जैसे उभरते जटिल और आपस में जुड़े विकास के विषयों के लिए विशाल क्षेत्र प्रदान करते हैं।
  • महासागर, जलवायु परिवर्तन को समाप्त करने और इसके प्रभाव में सुधार लाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिंद महासागर अपने तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं, सुरक्षा तथा आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है।
  • देश की तटरेखा 8,118 किलोमीटर है, जिसमें 9 समुद्री राज्य तथा 4 केन्द्रशासित प्रदेश आते हैं और 2.8 मिलियन मछुआरों को आजीविका सहायता प्रदान करते हैं।
  • मछली उत्पाद के वैश्विक हिस्से में भारत का योगदान 8 प्रतिशत का है और इसे विश्व में तीसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक के रूप में स्थान दिया गया है।
  • देश का कुल मछली उत्पादन 162.48 लाख टन है। जिसमें से 121.21 लाख टन अंतरदेशीय और 41.27 लाख टन समुद्री है।
  • 2021-22 में मत्स्य निर्यात का मूल्य 57,586.48 करोड़ रुपए था। यह क्षेत्र जीवीए में स्थिर विकास दर दिखाता है और कृषि निर्यात में लगभग 17 प्रतिशत योगदान देता है।
  • भारत में सामान्य रूप से खुली पहुंच मछली पालन है जो वर्षों से सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न अधिनियमों और नियामक उपायों से शासित होता है।

कर्नाटक में सागरीय संपदा

  • कर्नाटक राज्य का ताजा जल स्रोत 5.74 लाख हेक्टेयर है। इसमें 3.02 लाख हेक्टेयर पोखर और तालाब, 2.72 लाख हेक्टेयर जलाशय, 8,000 हेक्टेयर खारा जल स्रोत तथा 27,000 वर्ग किलोमीटर के महाद्वीपीय क्षेत्र के साथ 320 किलोमीटर का समुद्री तट है।
  • कर्नाटक के तटीय जिले, दक्षिण कन्नड़ अकेले कुल पकड़ में 40 प्रतिशत का योगदान करते हैं। इसके बाद उत्तर कन्नड़ (31 प्रतिशत) तथा उडुपी का (29 प्रतिशत) योगदान है।
  • क्रमशः दक्षिण कन्नड़ तथा उडुपी जिलों में मुख्य रूप से योगदान मंगलुरू तथा मालपे मछली पकड़ने के बंदरगाह योगदान करते हैं। राज्य में 9.84 लाख मछुआरे तथा 729 मछुआरा सहकारी समितियां (132-समुद्री तथा 597-अंतरदेशीय) हैं।
  • राज्य के मछली उत्पादन ने 2021-22 के लिए भारत के कुल मछली उत्पाद में लगभग 6.6 प्रतिशत का योगदान दिया तथा कुल मछली उत्पादन में तीसरे स्थान पर, समुद्री मछली उत्पादन में पांचवें स्थान और अंतरदेशीय मछली उत्पादन में सातवें स्थान पर है।
  • राज्य में प्रति व्यक्ति मछली का उपभोग 8.08 किलोग्राम है। 2011-12 के दौरान वर्तमान मूल्यों पर जीएसडीपी में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान 2,723 करोड़ रुपए था और यह 2020-21 में बढ़कर 7,827 करोड़ रुपए हो गया है।

Source - PIB

Nirman IAS Team

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