save wetland campaign

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आर्द्रभूमि बचाओ अभियान

06 Feb, 2023

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, ने आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए "संपूर्ण समाज" के दृष्टिकोण के रूप में ‘आर्द्रभूमि बचाओ अभियान’ प्रारम्भ किया

मुख्य बिंदु :-

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, ने गोवा के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में 'आर्द्रभूमि बचाओ अभियान' का शुभारंभ किया।
  • यह अभियान वेटलैंड्स का संरक्षण करने के लिए "सम्पूर्ण  समाज" के दृष्टिकोण के साथ ही समाज के सभी स्तरों पर आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए सकारात्मक कार्यों को सक्षम बनाते हुए समाज के सभी स्तरों को इस अभियान में शामिल करता है।
  • अगले एक वर्ष के दौरान इस अभियान में आर्द्रभूमि के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना, आर्द्रभूमि मित्र के कार्यक्षेत्र को बढ़ाना और आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए नागरिक भागीदारी का निर्माण करना शामिल होगा।
  • इस अवसर पर दो पुस्तकों - 'इंडियाज 75 अमृत धरोहर- इंडियाज रामसर साइट्स फैक्टबुक' और 'मैनेजिंग क्लाइमेट रिस्क्स इन वेटलैंड्स- ए प्रैक्टिशनर्स गाइड‘ का भी विमोचन किया गया।
  • फैक्टबुक हमारे 75 रामसर साइटों पर जानकारी का एक ही संकलन वाला संसाधन है, जिसमें उनके महत्त्व, उनके सामने आने वाले खतरे और प्रबंधन की व्यवस्था सम्मिलित है। जलवायु जोखिम मूल्यांकन पर विशेषज्ञों की मार्गदर्शिका स्थल - स्तरीय जलवायु जोखिमों का आकलन करने एवं आर्द्रभूमि प्रबंधन योजना में अनुकूलन और शमन प्रतिक्रियाओं के एकीकरण पर चरण- वार मार्गदर्शन प्रदान करती है।

सहभागिता अभियान

  • भारत के पास एशिया में रामसर साइटों का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो इन साइटों को वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव कल्याण का समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक नेटवर्क बनाता है।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2022 में सहभागिता मिशन शुरू किया जो 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की 75 आर्द्रभूमियों के एक स्वस्थ और प्रभावी ढंग से प्रबंधित नेटवर्क ‘का अभियान है जिसके अंतर्गत पानी और खाद्य सुरक्षा, बाढ़, सूखा, चक्रवात और अन्य चरम घटनाओं से बचाव, रोजगार सृजन, स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की प्रजातियों का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन क्रियाएं, और सांस्कृतिक विरासत की मान्यता, संरक्षण और आयोजनों को सहायता दी जाती है। 
  • भारत सरकार द्वारा आर्द्रभूमियों के सहभागी प्रबंधन पर जोर देने एवं मंत्रालय, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन द्वारा जारी परामर्श के आधार पर इस अभियान  और सहभागिता अभियान की परिकल्पना के अनुरूप इस वर्ष सभी 75 रामसर स्थलों पर उत्साहपूर्वक वर्ल्ड वेटलैंड्स डे मनाया गया।
  • रामसर साइटों पर ध्वजारोहण के साथ 200 कार्यक्रम और छात्र भागीदारी के साथ 50 से अधिक गतिविधियों का आयोजन जिसमें चित्रकला प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता, एक्सपोजर गतिविधियां और बर्ड वाचिंग का आयोजन किया गया। इन आयोजनों के दौरान आर्द्रभूमि प्रतिज्ञा भी दिलाई गई ।
  • साइट स्तर के समारोह के बाद कल 3 फरवरी, 2023 को गोवा में आर्द्रभूमि की पुनर्प्राप्ति और एकीकृत प्रबंधन के लिए एक क्षेत्रीय परामर्शी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें गुजरात, हरियाणा, पंजाब, गोवा, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे 7 राज्यों के 48 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • मिशन सहभागिता के अंतर्गत आयोजित यह कार्यशाला आर्द्रभूमि प्रबंधन के अनुभवों, सफलता की कहानियों, सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ चुनौतियों को साझा करने का एक मंच है।
  • आर्द्रभूमि प्रबंधन, वेटलैंड्स की पुनर्प्राप्ति और उसके एकीकृत प्रबंधन, तथा युवाओं की सहभागिता और उसकी पहुंच में एलआईएफई मिशन को मुख्यधारा में लाने पर तीन गोलमेज चर्चाओं को भी इस अवसर पर हुए विचार-विमर्श में शामिल किया गया।

विश्व आर्द्रभूमि दिवस के बारे में

  • वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस जाता है। भारत 1982 से इस कन्वेंशन  का एक पक्ष है और अब तक 23 राज्यों एवं  केंद्र शासित प्रदेशों को समाहित करते हुए 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित कर चुका है।
  • वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के लिए 2023 की विषयवस्तु 'वेटलैंड रिस्टोरेशन' है, जो इस प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
  • यह एक पूरी पीढ़ी के लिए आह्वान है कि आर्द्रभूमियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक पूंजी निवेश करके आर्द्रभूमियों के लिए सक्रिय कार्रवाई करें और जो खराब स्थिति में पहुँच  चुकी हैं उन्हें पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करें।

क्या होती हैं आर्द्रभूमि ?

  • नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है। ये वो क्षेत्र होते हैं जहां भरपूर नमी पाई जाती है।
  • इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र जहाँ निम्न ज्वार 6 मीटर से अधिक गहरे नहीं होते तथा इसके अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचारित जलाशय शामिल हैं।
  • इसके कई लाभ हैं। यह पानी को प्रदूषण मुक्त बनाती है। यह वह क्षेत्र होते हैं, जहां वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः पानी भरा रहता है।
  • भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है।

Source - PIB

Nirman IAS (Surjeet Singh)

Current Affairs Author