मिलेट्स के लिए मानक
24 Feb, 2023
चर्चा में क्यों ?
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने मिलेट्स के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) दूसरा संशोधन विनियम, 2023 के जरिए व्यापक समूह मानक तय किए जो 1 सितंबर, 2023 से लागू होंगे
मुख्य बिंदु :-
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भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) द्वितीय संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से बाजरा (मिलेट्स) के लिए एक व्यापक समूह मानक तय किया है और इसे 1 सितंबर, 2023 से लागू किया जाएगा।
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मिलेट्स छोटे दाने वाली खाद्य फसलों का एक समूह है जो सूखे और अन्य चरम मौसम स्थितियों में भी पैदा होती हैं और इन्हें उर्वरक और कीटनाशक जैसे कम रसायनिक पदार्थों की जरूरत होती है।
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अधिकांश मिलेट्स भारत की मूल फसलें हैं और वे मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
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मिलेट्स ग्लूटन-फ्री भी होते हैं; ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) में कम; और कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस आदि सहित आहार फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से मिलेट्स सही मायनों में हमारे दैनिक आहार का एक अभिन्न अंग होना चाहिए।
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एफएसएसएआई गाइडेंस नोट ("बाजरा - पोषक-अनाज") मिलेट्स की खपत के पोषण संरचना और लाभों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है।
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मिलेट्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए, अप्रैल 2018 में मिलेट्स को "न्यूट्री अनाज" के रूप में फिर से ब्रांड किया गया और "2018" को मिलेट्स के राष्ट्रीय वर्ष के रूप में नामित किया गया।
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बाद में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र में 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया। यह वैश्विक उत्पादन, कुशल प्रसंस्करण और फसल रोटेशन के बेहतर उपयोग को बढ़ाने और फूड बास्केट के प्रमुख घटक के रूप में मिलेट्स को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा।
15 प्रकार के मिलेट्स के लिए एक व्यापक समूह मानक
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वर्तमान में, खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमों, 2011 में केवल कुछ मिलेट्स जैसे सोरघम (ज्वार), साबुत और छिले हुए मिलेट अनाज (बाजरा), रागी और चौलाई जैसे कुछ मिलेट्स के लिए व्यक्तिगत मानक निर्धारित हैं।
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एफएसएसएआई ने अब घरेलू और वैश्विक बाजारों में अच्छी गुणवत्ता (मानकीकृत) मिलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 15 प्रकार के मिलेट्स के लिए एक व्यापक समूह मानक तैयार किया है जिसमें 8 गुणवत्ता मानकों को रेखांकित किया गया है, जैसे कि- नमी की मात्रा, यूरिक एसिड की मात्रा, बाहरी पदार्थ, अन्य खाद्य अनाज, डिफेक्ट्स, घुन वाले अनाज और अपके और सूखे अनाज की अधिकतम सीमा।
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समूह मानक निम्नलिखित मिलेट्स पर लागू होता है: अमरांथस, बार्नयार्ड मिलेट्स, ब्राउन टॉप, कुट्टू, क्रैब फिंगर, रागी, फोनियो, फॉक्सटेल मिलेट, जॉब्स टीयर्स, कोदो, कुटकी, बाजरा, प्रोसो मिलेट, ज्वार और टेफ़|
क्या होता है मोटा अनाज?
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मोटा अनाज छोटे दानेदार अनाज खाद्य फसलों का समूह है जो सूखे और अन्य चरम मौसम की स्थितियों के प्रति अत्यधिक सहिष्णु हैं और उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे कम रासायनिक आदानों के साथ उगाए जाते हैं।
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इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, जौ, कोदो, सामा, सवाना, छोटे अनाज या कुटकी, कांगनी और चीन जैसे अनाज शामिल हैं।
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इसे मोटा अनाज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके उत्पादन में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं।
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धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज के उत्पादन में पानी की खपत बहुत कम होती है। चूँकि इसकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत भी नहीं पड़ती इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।
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सरकार की पहल के कारण बाजरे का उत्पादन 2015-16 में 1.452 करोड़ टन से बढ़कर 2020-21 में 1.796 करोड़ टन हो गया और इसी अवधि के दौरान बाजरे का उत्पादन भी 80.7 लाख टन से बढ़कर 1.086 करोड़ टन हो गया।
Source – PIB
Nirman IAS (Surjeet Singh)
Current Affairs Author