उत्तर प्रदेश गुणवत्ता मिशन
24 Mar, 2023
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारतीय गुणवत्ता परिषद और उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश गुणवत्ता संकल्प का शुभारंभ किया
मुख्य बिंदु :-
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उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय गुणवत्ता परिषद ने उद्योग संघों - एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), इंस्टीट्यूट ऑफ एक्चुअरीज ऑफ इंडिया (आईआईए) और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के सहयोग से आज लखनऊ में उत्तर प्रदेश गुणवत्ता संकल्प (उत्तर प्रदेश गुणवत्ता मिशन) का शुभारंभ किया।
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उत्तर प्रदेश गुणवत्ता संकल्प का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक और सहकारिता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे.पी.एस. राठौर ने किया।
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कई नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, चिकित्सकों और शिक्षाविदों का उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्ता को बढ़ावा देना और प्राथमिकता देना है और इसे राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए एक वास्तविकता बनाना है।
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संकल्प ने उत्तर प्रदेश को "आत्मनिर्भर प्रदेश" से "दाता प्रदेश" की दिशा में आगे ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया, जहां उत्तर प्रदेश राष्ट्र को वापस सेवाएं प्रदान करता है।
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इसका उद्देश्य ज्ञान महाशक्ति बनने के राज्य के दृष्टिकोण में योगदान देना और परिवर्तनकारी डिजिटलीकरण को अपनाने, पारदर्शिता और पहुंच की संस्कृति को आत्मसात करने, भूमि और पानी के उपयोग को अनुकूलित करने, एक व्यापक बुनियादी ढांचे और अपशिष्ट प्रबंधन रणनीति को तैयार करने और एक गुणवत्ता आंदोलन की अगुआई करने के लिए उद्योग द्वारा नेतृत्व करना है।
क्या है भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI)?
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भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) 1997 में भारत सरकार और भारतीय उद्योग से प्रतिनिधि के रूप में तीन प्रमुख उद्योग संघों यानि एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम), भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के द्वारा संयुक्त रूप स्थापित किया गया।
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यह भारतीय उत्पादों एवं सेवाओं की गुणवत्ता प्रतिस्पर्धात्मकता बढाने के उद्देश्य से अनुरूपता मूल्यांकन प्रणाली जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई है,की स्थापना करके देश में गुणवत्ता संबंधी अभियान को एक नीतिपरक दिशा देता है।
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इसके प्रथम अध्यक्ष रतन टाटा थे। गुणवत्ता को गति देने के उद्देश्य से यह अस्तित्व में आया था।
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उल्लेखनीय है की भारत सरकार गुणवत्ता की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के प्रति कटिबद्ध है। इसके तहत ऐसे उत्पादों को बनाने और निर्माण प्रक्रियाओँ को अमल में लाने पर जोर दिया जा रहा है जिनमें कोई खामी न हो और पर्यावरण पर कम-से-कम असर पड़े।
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भारतीय गुणवत्ता परिषद की स्थापना भारत सरकार और भारतीय उद्योग जगत ने संयुक्त रूप से की थी। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय प्रमाणन ढांचे की स्थापना एवं संचालन करना और राष्ट्रीय गुणवत्ता अभियान के जरिए गुणवत्ता को बढ़ावा देना है।
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पिछले 25 वर्षों में, QCI ने मान्यता और गुणवत्ता संवर्धन के कार्यों को संभालने के लिए विभिन्न बोर्ड जैसे- एनएबीएल, एनएबीएच, एनएबीसीबी, एनएबीईटी और एनबीक्यूपी बनाए हैं।
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सरकार द्वारा इसे दिए गए जनादेश के अनुसार, QCI ने वैश्विक परिदृश्य में प्रवेश करना शुरू कर दिया और मंचों और संगठनों के साथ सदस्यता स्थापित की, जिन्होंने यह तय किया कि व्यापार और कारोबार को वैश्विक वातावरण में कैसे संचालित किया जाना है।
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QCI और एनएबीएल क्रमशः आईएएफ और आईएलएसी के सदस्य और बाद में एपीएसी और एपीएलएसी जैसे क्षेत्रीय निकायों के सदस्य बन गए। इससे भारत में गुणवत्ता आश्वासन से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के परिणामों की दुनिया भर से समानता सुनिश्चित हुई।
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सरकार द्वारा घोषित योजनाओं में तीसरे पक्ष के मूल्यांकन में वास्तविक वृद्धि वर्ष 2015 के बाद हुई, जब सरकार ने QCI जैसे संगठनों पर तेजी से भरोसा करना शुरू कर दिया ताकि QCI के दायरे में मान्यता प्राप्त संगठनों के माध्यम से बिना किसी डर या पक्ष के स्वतंत्र प्रतिक्रिया का एक स्तर प्रदान किया जा सके।
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कई सरकारी विभागों ने एनएबीएल और एनएबीसीबी मान्यता प्राप्त संगठनों द्वारा किए जाने वाले परीक्षण, निरीक्षण और प्रमाणन के लिए अब नियम बनाए हैं।
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यह देश की नीति में एक बड़ा बदलाव है जहां तीसरे पक्ष की एजेंसियों को आंकड़े एकत्र करने और विश्लेषण करने और आम लोगों के कल्याण और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता के लिए विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में आई दरारों को भरने की जिम्मेदारी दी गई है।
Source - PIB
Nirman IAS Team
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